सुप्रीम कोर्ट ने उच्‍च शिक्षण संस्‍थानों में आरक्षण खत्‍म करने की बात कही है। कोर्ट ने मंगलवार को आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु में सुपर स्‍पेशियलटी कोर्सेज में प्रवेश को लेकर योग्यता मानकों को चुनौती देने के संबंध में दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह बात कही। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि देश को आजाद हुए 68 साल हो गए, लेकिन वंचितों के लिए जो सुविधा उपलब्‍ध कराई गई थी, उसमें कोई बदलाव नहीं हुआ है। अदालत ने केंद्र से सरकार से कहा है कि वह इस संबंध में उचित कदम उठाए, क्‍योंकि राष्‍ट्रहित में ऐसा करना बेहद जरूरी हो गया है।

जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस पीसी पंत की पीठ ने कहा कि विशेषाधिकारों से हालत नहीं बदले हैं। चिकित्सा संस्थानों में सुपर स्पेशियलिटी कोर्सेज में आरक्षण मुद्दे के दो मामलों पर शीर्षस्थ अदालत ने यह भी कहा कि “वास्तव में कोई आरक्षण नहीं होना चाहिए।” अब समय आ गया है कि उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार किया जाए और उपलब्ध स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता बढ़ाकर देशवासियों को सुविधा उपलब्‍ध कराई जाए।

बिहार में मतदान से ऐन पहले आई सुप्रीम कोर्ट की टिप्‍पणी

गौरतलब है कि बिहार में बुधवार को तीसरे चरण का मतदान हो रहा है। सुप्रीम कोर्ट की यह अहम टिप्‍पणी से वोटिंग ऐन पहले आई है। बिहार में पहले ही आरक्षण को लेकर सियासी घमासान मचा हुआ है। खासकर बीजेपी के लिए यह मुद्दा गले की फांस बना हुआ है। दरअसल, इसकी शुरुआत उस वक्‍त हुई जब आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने आरक्षण की समीक्षा किए जाने की वकालत की थी। इसी बात को लालू यादव और नीतीश कुमार ने बिहार चुनाव में मुद्दा बना दिया। बाद में बीजेपी अध्‍यक्ष अमित शाह, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत बीजेपी के कई नेताओं को सफाई देनी पड़ी।

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