राजस्थान में सियासी उठापटक के बीच हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ स्पीकर सीपी जोशी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई हुई। उच्चतम न्यायालय ने राजस्थान हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। सुनवाई के दौरान कांग्रेस के वकील कपिल सिब्बल और अदालत के बीच कई सवाल-जवाब हुए। इस दौरान जज ने सिब्बल से पूछा की क्या पार्टी ने बागी विधायकों को निकाल दिया है? इसपर सिब्बल ने कहा कि वह पार्टी नहीं हैं वह पार्टी नहीं स्पीकर हैं।
सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट से कहा “जब तक विधानसभा स्पीकर की ओर से कोई फैसला ना लिया जाए, तबतक मामले में दखल नहीं दिया जा सकता है।” इसपर कोर्ट ने कहा “ये कोई साधारण केस नहीं है, आप सभी चुनकर आए हैं। क्या पार्टी ने बागी विधायकों को निकाल दिया है? पार्टी ने अभी तक कोई फैसला क्यों नहीं लिया? इस तरह लोकतंत्र की आवाज को दबाया नहीं जा सकता है।” इसपर सिब्बल ने कहा “मैं पार्टी नहीं यहां स्पीकर की ओर से हूं, मुझे नहीं मालूम।”
इससे पहले वकील कपिल सिब्बल ने राजस्थान विधानसभा के स्पीकर का पक्ष रखते हुए कहा कि स्पीकर के फैसले से पहले कोर्ट का दखल गलत है। कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में 1992 के किहोटो होलोहॉन मामले में दिए संविधान पीठ के फैसले का हवाला दिया। उन्होने कहा कि इस फैसले के मुताबिक अयोग्यता के मसले पर स्पीकर का फैसला आने से पहले कोर्ट दखल नहीं दे सकता है। अयोग्य ठहराने की प्रकिया पूरी होने से पहले कोर्ट में दायर कोई भी याचिका सुनवाई योग्य नहीं है।
सिबल ने सुप्रीम कोर्ट के एक अन्य मामले में हाल ही में दिए गए आदेश का हवाला दिया जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने स्पीकर को एक उचित समय में फैसला लेने का आग्रह किया था, न कि स्पीकर को कोई आदेश या स्पीकर को तय तारीख़ पर अयोग्य घोषित करने की प्रक्रिया पूरी करने या रोकने के लिए कहा गया था।