Assam Chief Minister Himanta Biswa Sarma: असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने शुक्रवार को पुष्टि की कि राज्य उन लोगों को अंतरराष्ट्रीय सीमा पार बांग्लादेश में धकेल (Pushing) रहा है, जिन्हें राज्य के विदेशी न्यायाधिकरणों (एफटी) द्वारा विदेशी घोषित किया गया है। असम सीएम हिमंता ने 4 फरवरी के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला दिया, जिसमें कोर्ट ने मटिया निरोध शिविर में बंद ‘घोषित विदेशियों’ को निर्वासित करने की प्रक्रिया शुरू नहीं करने पर राज्य की खिंचाई की थी।
सरमा का शुक्रवार का बयान राज्य भर में हिरासत में लिए जाने की घटनाओं के बीच आया है। विशेष रूप से राज्य के एफटी द्वारा विदेशी घोषित किए गए लोगों को लेकर। हिरासत में लिए गए लोगों के कई परिवारों का कहना है कि उन्हें उनके ठिकानों के बारे में कोई जानकारी नहीं है और अधिकारियों से उन्हें कोई साफ जवाब नहीं मिला है।
कई परिवारों ने बांग्लादेश से आने वाली रिपोर्टों और वीडियो में अपने रिश्तेदारों की पहचान की है, जिनके लोगों को कथित तौर पर भारत-बांग्लादेश सीमा के माध्यम से देश में ‘धकेल दिया गया या बाहर कर दिया गया’ था।
बता दें, ‘पुश बैक’ का तात्पर्य लोगों को सीमा पार धकेलने की अनौपचारिक प्रक्रिया से है, जो निर्वासन की औपचारिक प्रक्रिया के विपरीत है, जिसमें किसी व्यक्ति के दूसरे देश का नागरिक होने की पारस्परिक पुष्टि के बाद उसे दूसरे देश के प्राधिकारियों को सौंप दिया जाता है।
सरमा ने कहा कि आप जानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट में एक मामला चल रहा है और सुप्रीम कोर्ट ने हमें निर्देश दिया है कि जिन लोगों को विदेशी घोषित किया गया है, उन्हें किसी भी तरह से (उनके मूल देश में) वापस भेजा जाना चाहिए। जिन लोगों को विदेशी घोषित किया गया है, लेकिन उन्होंने कोर्ट में अपील भी नहीं की है, हम उन्हें वापस भेज रहे हैं। अगर उनमें से कुछ लोग हमें बताते हैं कि उनके पास हाई कोर्ट या सुप्रीम अपील में अपील है, तो हम उन्हें परेशान नहीं कर रहे हैं।
हिमंता 4 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अभय ओका और जस्टिस उज्जल भुयान की बेंच द्वारा दिए गए आदेश का हवाला दे रहे थे। असम में ‘अवैध विदेशियों’ के लिए समर्पित मटिया ट्रांजिट कैंप के कैदियों की स्थिति की मांग करते हुए, राज्य ने प्रस्तुत किया था कि उसने 63 कैदियों को निर्वासित करने की पहल नहीं की है, जिन्हें इस आधार पर विदेशी घोषित किया गया था कि उनके पते ज्ञात नहीं हैं, जो कि मूल देश के साथ औपचारिक सत्यापन प्रक्रिया के लिए आवश्यक है।
इस सबमिशन ने एफटी के माध्यम से “विदेशियों” का पता लगाने की राज्य की प्रक्रिया में अस्पष्टता को उजागर किया था, अर्ध-न्यायिक निकाय जो यह निर्धारित करते हैं कि उनके सामने पेश किया गया व्यक्ति “विदेशी” है या भारतीय नागरिक है। इन लोगों को आम तौर पर सीमा पुलिस द्वारा एफटी के पास भेजा जाता है या वे मतदाता सूची में ‘डी-मतदाता’ के रूप में सूचीबद्ध होते हैं।
आदेश में न्यायालय ने कहा था, ‘जब हमने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से उपस्थित असम के मुख्य सचिव से पूछा कि क्या क्रम संख्या 1 से 63 (हिरासत केंद्र में घोषित विदेशी) में सूचीबद्ध व्यक्तियों की राष्ट्रीयता ज्ञात है, तो उन्होंने सकारात्मक उत्तर दिया। चूंकि यह ज्ञात है कि ये व्यक्ति किसी विशेष देश के नागरिक हैं, इसलिए कोई कारण नहीं है कि असम राज्य उनके निर्वासन की प्रक्रिया शुरू न कर सके। भले ही विदेशी देश में इन व्यक्तियों का पता उपलब्ध न हो, क्योंकि राज्य को पता है कि वे किसी विशेष देश के नागरिक हैं, इसलिए हम राज्य को क्रम संख्या 1 से 63 के व्यक्तियों के संबंध में निर्वासन की प्रक्रिया तुरंत शुरू करने का निर्देश देते हैं।’
RSS से जुड़े इस संगठन ने विदेशी सामान के बहिष्कार का किया आह्वान; चीन को लेकर क्या कहा?
शुक्रवार को सरमा ने कहा कि सभी जिला पुलिस अधीक्षकों की हाल की बैठक में सरकार ने राज्य में ‘विदेशियों का पता लगाने’ की प्रक्रिया में तेजी लाने का भी फैसला किया है।
हिमंता ने कहा कि अगले कुछ दिनों में वहां भी लोगों को वापस भेजा जाएगा, उनका पता लगाया जाएगा और केंद्र सरकार बांग्लादेश सरकार के साथ समन्वय करके कुछ लोगों को बांग्लादेश भी भेजेगी। उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया उन लोगों पर लागू नहीं की जा रही है जिनके पास एफटी मामलों के खिलाफ अपील लंबित हैं, लेकिन कहा कि जिन लोगों ने अभी तक इसे चुनौती नहीं दी है, उन्होंने असम में रहने का अपना अधिकार खो दिया है।
जब पत्रकारों ने मोरीगांव निवासी खैरुल इस्लाम सहित अन्य लोगों का मामला उठाया, जिसके बारे में इंडियन एक्सप्रेस ने खबर दी थी, कि हाई कोर्ट में उनकी अपील लंबित होने के बावजूद उन्हें कथित तौर पर “पीछे धकेला गया”, तो सरमा ने कहा कि किसी के पास सुप्रीम कोर्ट का मामला हो सकता है, उसे पुलिस के समक्ष आदेश प्रस्तुत करना होगा। वहीं, गुवाहाटी हाईकोर्ट ने गुरुवार को असम के कामरूप जिले के दो निवासियों की याचिका पर राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है। पढ़ें…पूरी खबर।