स्टैंडअप कॉमेडियन मुन्नवर फारूकी को शनिवार को देर रात में केंद्रीय जेल से रिहा कर दिया गया। फारूकी को हिंदुओं की भावना आहत करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। सुप्रीम कोर्ट के जज के फ़ोन के बाद कॉमेडियन मुनव्वर फारूकी को इंदौर की जेल से रिहा किया गया। हालाँकि शनिवार सुबह को इंदौर जेल प्रशासन ने फारूकी को रिहा करने से मना कर दिया था और कहा था कि उसे वारंट को रोकने के कोई आदेश नहीं मिले हैं।
दरअसल शुक्रवार को मुन्नवर फारूकी को सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत दी थी और साथ ही हाईकोर्ट के आदेश की समीक्षा करने की बात कही थी। सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बावजूद फारूकी को जेल से रिहा नहीं किया गया था। इंदौर जेल प्रशासन ने यह कहते हुए रिहा करने से मना कर दिया था कि उन्हें प्रयागराज के सीजेएम की ओर से जारी किये गए प्रोडक्शन वारंट को रोकने को लेकर कोई आधिकारिक जानकारी नहीं मिली है। हालांकि देर रात सुप्रीम कोर्ट के एक न्यायाधीश ने इंदौर के जज को फ़ोन किया और उनको सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर फारूकी के प्रोडक्शन वारंट पर लगाये गए रोक और अंतरिम जमानत के आदेश को चेक करने को कहा। जिसके बाद फारूकी को जेल से रिहा कर दिया गया।
फारूकी की रिहाई पर इंदौर जेल के अधीक्षक राजेश बांगडे ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा कि हमें पहले ये आदेश नहीं मिला था। लेकिन जब सुप्रीम कोर्ट के एक न्यायाधीश ने इंदौर के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी को फ़ोन किया और उन्हें वेबसाइट पर जारी किए गए आदेशों को चेक करने के लिए कहा और कहा कि अगर ये पहले ही जारी हो गए हैं तो इनका पालन करें। जिसके बाद हमने वेबसाइट को चेक करके देखा और वहां आर्डर जारी हो गए थे। उसके बाद फारूकी को देर रात 11 बजे जेल से रिहा कर दिया गया।
आपको बता दूँ कि इंदौर के बीजेपी विधायक के बेटे एकलव्य सिंह गौड़ ने एक जनवरी की रात फारूकी के खिलाफ तुकोगंज पुलिस थाने में हिंदुओं की भावना आहत करने का मामला दर्ज कराया था। विधायक के बेटे का आरोप था कि मुनव्वर फारूकी ने 1 जनवरी की शाम को आयोजित कार्यक्रम में हिंदू देवी-देवताओं, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और गोधरा कांड को लेकर कथित आपत्तिजनक टिप्पणियां की थी। जिसके बाद फारूकी को जेल में बंद कर दिया गया था। जिला अदालत और मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने भी फारूकी की जमानत अर्जी को खारिज कर दिया था।

