सुप्रीम कोर्ट ने रफाल डील के मुद्दे पर केन्द्र सरकार को बड़ी राहत देते हुए उसे क्लीन चिट दे दी है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि उन्हें रफाल डील में किसी तरह की कोई अनियमित्ता नहीं मिली है। कोर्ट ने इस मुद्दे पर अदालत की निगरानी में डील की जांच कराने संबंधी सभी याचिकाएं भी रद्द कर दी हैं। कोर्ट के इस फैसले को भाजपा के लिए बड़ी राहत माना जा रहा है। भाजपा ने भी कोर्ट का फैसला आते ही कांग्रेस को निशाने पर ले लिया है और राहुल गांधी से इस मुद्दे पर माफी की मांग कर डाली है। हालांकि कई लोगों ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से असहमति जतायी है। मशहूर वकील प्रशांत भूषण ने एएनआई के साथ बातचीत में कहा कि ‘हमारे ख्याल से सुप्रीम कोर्ट का फैसला पूरी तरह से गलत है। इससे डील के खिलाफ चल रही मुहिम नहीं रुकेगी और हम इस बात पर जल्द फैसला करेंगे कि क्या पुनर्विचार याचिका दाखिल की जानी चाहिए?’
टीएमसी सांसद सौगत राय का कहना है कि ‘सुप्रीम कोर्ट ने वो कहा है, जो उसे सही लगता है, लेकिन राजनैतिक पार्टियां इस मामले में JPC (Joint parliamentary committee) जांच की मांग करेंगी।’ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा का कहना है कि ‘सुप्रीम कोर्ट का फैसला अपने आप में विरोधाभासी है, ऐसे में प्रधानमंत्री और भाजपा सरकार को इस फैसले पर खुशी नहीं मनानी चाहिए। माननीय सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस मामले की डिटेल्स में जाना सही नहीं होगा।’
Prashant Bhushan: In our opinion the Supreme Court judgement is totally wrong, the campaign will certainly not drop and we will decide if we will file a review petition #Rafaledeal https://t.co/djJheTLAhr
— ANI (@ANI) December 14, 2018
वहीं दूसरी तरफ रफाल डील को लेकर निशाने पर आए मशहूर उद्योगपति अनिल अंबानी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर खुशी जतायी है। अनिल अंबानी ने कहा कि “वह सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं। माननीय सुप्रीम कोर्ट ने आज रफाल कॉन्ट्रैक्ट से संबंधित याचिकाओं और रिलायंस ग्रुप और उन पर व्यक्तिगत तौर पर लगाए जा रहे आधारहीन और राजनीति से प्रेरित झूठे आरोपों को खारिज कर दिया है।” गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने भी कोर्ट के फैसले पर कहा कि ‘यह मामला शुरुआत से ही क्रिस्टल की तरह साफ था। हम कहते आ रहे थे कि कांग्रेस द्वारा लगाए गए आरोप बेबुनियाद और राजनैतिक फायदे के लिए लगाए जा रहे हैं।’
क्या है पूरा मामलाः बता दें कि भारतीय वायुसेना की रक्षा जरुरतों को पूरा करने के लिए यूपीए सरकार ने फ्रांस की कंपनी दसॉल्ट एविएशन के साथ 126 रफाल लड़ाकू विमानों का सौदा किया था। लेकिन सत्ता में आने के बाद एनडीए सरकार ने इस सौदे को घटाकर 36 विमानों का कर दिया। विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने केन्द्र सरकार पर आरोप लगाया कि रफाल सौदे में अनियमित्ता की गई है और यूपीए सरकार के मुकाबले प्रति विमान की कीमत ज्यादा तय की गई। कांग्रेस ने इस अहम सौदे में अनिल अंबानी की अपेक्षाकृत नई कंपनी को साझेदार बनाए जाने पर भी सवाल खड़े किए। कांग्रेस अध्यक्ष ने मोदी सरकार पर रफाल डील में कई हजार करोड़ की धांधली करने का आरोप लगाया। हालांकि केन्द्र सरकार कांग्रेस के आरोपों को बेबुनियाद बताती रही। रफाल डील की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका डालकर कोर्ट की निगरानी में इस सौदे की जांच की मांग की गई।
उल्लेखनीय है कि हाल के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने रफाल डील को बड़ा मुद्दा बनाया और मोदी सरकार और भाजपा को घेरने की कोशिश की। कांग्रेस को इसमें सफलता भी मिलती दिखाई दी और विधानसभा चुनाव के नतीजों में मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनी। हालांकि अब सुप्रीम कोर्ट ने रफाल डील में अनियमित्ता की बात नकारते हुए मोदी सरकार को बड़ी राहत दी है। हालांकि कांग्रेस कोर्ट के फैसले के बावजूद अभी भी इस मुद्दे पर अपनी हार मानने को तैयार नहीं है और पार्टी अभी भी रफाल डील पर ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी के गठन की मांग पर अड़ी है।