SC Anguished Over Hate Speeches: मीडिया में हेट स्पीच को लेकर बुधवार को उच्चतम न्यायालय ने सरकार पर कड़ी नाराजगी जताई है। न्यायालय ने सरकार से पूछा कि वह ‘मूक दर्शक’ बनकर क्यों बैठी है। यह भी पूछा कि वह विधि आयोग के सिफारिशों के अनुसार कानून बनाएगी या नहीं? हेट स्पीच को रोकने और इस पर नियंत्रण लगाने के निर्देश देने को लेकर ग्यारह रिट याचिकाओं की सुनवाई कर रही जस्टिस केएम जोसेफ और हृषिकेश रॉय की पीठ ने कहा कि टीवी चैनलों पर डिबेट के दौरान एंकर की जिम्मेदारी है कि वह आक्रामकता और अपशब्दों को प्रसारित होने से रोकें।
पीठ ने कहा विजुअल मीडिया का प्रभाव बहुत ही ‘खतरनाक’ होता जा रहा है। कहा कि नफरत फैलाने वाले भाषणों से निपटने के लिए संस्थागत प्रणाली विकसित करने की जरूरत है। न्यायालय ने इस मामले में सरकार की ओर से उठाये गये कदमों पर असंतोष जताया। कहा कि केंद्र सरकार को इस मामले में अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए।
शीर्ष अदालत ने PCI और NBA को पक्षकार बनाने से इनकार कर दिया
इस बीच, पीठ ने भारतीय प्रेस परिषद (PCI) और नेशनल एसोसिएशन ऑफ ब्रॉडकास्टर्स (NBA) को अभद्र भाषा और अफवाह फैलाने वाली याचिकाओं में पक्षकार के रूप में शामिल करने से इनकार कर दिया। एक याचिकाकर्ता वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय ने मामले में भारतीय प्रेस परिषद और नेशनल एसोसिएशन ऑफ ब्रॉडकास्टर्स को पक्षकार बनाने की मांग की थी।
शीर्ष अदालत ने कहा, ‘‘हमने टीवी समाचार चैनल का संदर्भ दिया है, क्योंकि अभद्र भाषा का इस्तेमाल विजुअल मीडिया के जरिये होता है। अगर कोई अखबारों में कुछ लिखता है, तो कोई भी उसे आजकल नहीं पढ़ता है। किसी के पास अखबार पढ़ने का समय नहीं है।’’
शीर्ष अदालत ने अभद्र भाषा पर अंकुश लगाने के लिए एक नियामक तंत्र की आवश्यकता पर जोर दिया। इसने वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े को न्याय मित्र नियुक्त किया और उन्हें याचिकाओं पर राज्य सरकारों की प्रतिक्रियाओं के आकलन करने को कहा है। शीर्ष अदालत ने मामलों की सुनवाई के लिए 23 नवंबर की तारीख तय की है।
