Supreme Court dismissed Tushar Gandhi’s petition: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को महात्मा गांधी के परपोते तुषार गांधी की याचिका खारिज कर दी, जिसमें उन्होंने गुजरात सरकार की ओर से साबरमती आश्रम के पुनर्विकास की योजना को चुनौती दी थी। तुषार गांधी का कहना था कि इस परियोजना से आश्रम का मूल स्वरूप और उसकी ऐतिहासिक पहचान प्रभावित होगी।
अदालत ने क्यों खारिज की याचिका?
न्यायमूर्ति एम. एम. सुंदरेश और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की पीठ ने इस याचिका को खारिज कर दिया। तुषार गांधी ने गुजरात सरकार द्वारा 5 मार्च 2021 को प्रस्तावित इस पुनर्विकास योजना को गुजरात हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, लेकिन वहां भी उन्हें राहत नहीं मिली थी।
राज्य सरकार ने अदालत में स्पष्ट किया कि साबरमती आश्रम के मुख्य क्षेत्र को बिल्कुल भी नहीं बदला जाएगा। सिर्फ इसके आसपास के इलाकों को विकसित किया जाएगा ताकि इसे और बेहतर रूप दिया जा सके। इस आधार पर गुजरात हाईकोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया था।
सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप और हाईकोर्ट का दोबारा फैसला
तुषार गांधी ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। अप्रैल 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए राज्य सरकार से इस परियोजना पर विस्तृत जवाब मांगा और याचिका पर पुनर्विचार करने को कहा। इसके बाद मामला दोबारा गुजरात हाईकोर्ट पहुंचा।
8 सितंबर 2022 को हाईकोर्ट ने फिर से याचिका खारिज कर दी और कहा कि यह परियोजना महात्मा गांधी के विचारों और दर्शन को आगे बढ़ाएगी और समाज व मानवता के लिए फायदेमंद होगी।
तुषार गांधी ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी याचिका में तर्क दिया कि इस परियोजना के तहत आश्रम की ऐतिहासिक स्थलाकृति को 1,200 करोड़ रुपये की लागत से पूरी तरह बदल दिया जाएगा। इससे इसके मूल स्वरूप और महात्मा गांधी के सिद्धांतों पर आधारित लोकाचार पर नकारात्मक असर पड़ेगा।
उन्होंने दावा किया कि इस योजना के तहत 40 से अधिक ऐतिहासिक इमारतों को संरक्षित किया जाएगा, लेकिन बाकी लगभग 200 भवनों को या तो तोड़ा जाएगा या फिर नए सिरे से बनाया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद गुजरात सरकार अपने पुनर्विकास योजना को आगे बढ़ाने के लिए स्वतंत्र है। हालांकि, तुषार गांधी जैसे इतिहासकार और गांधीवादी विचारधारा से जुड़े लोग इस योजना से पूरी तरह से असहमत हैं।