Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व भाजपा विधायक गिर्राज सिंह मलिंगा को सरेंडर करने का आदेश दिया है। गिर्राज सिंह मलिंगा पर जेवीवीएनएल के एईएन से मारपीट का आरोप है। मलिंगा राजस्थान की धौलपुर के बाड़ी विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी विधायक रह चुके हैं।

जस्टिस वी रामसुब्रहमण्यम और जस्टिस अरविंद कुमार की खंडपीठ ने यह आदेश गिर्राज सिंह मलिंगा की विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए। कोर्ट ने मामले की सुनवाई चार सप्ताह बाद तय की है।

कोर्ट ने क्या आदेश दिया?

कोर्ट ने क्या आदेश दिया?

इस मामले में पूर्व विधायक मलिंगा की तरफ से सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने तो सरकार की तरफ से एएजी शिव मंगल शर्मा ने पैरवी की। सुनवाई के दौरान पीड़ित पक्ष की ओर से फोटोग्राफ पेश करके कोर्ट को बताया गया कि प्रकरण में उससे गंभीर मारपीट हुई है। इस पर कोर्ट ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि इस तरह की मारपीट को सहन नहीं किया जा सकता है। मलिंगा पहले दो सप्ताह में सरेंडर करें, उसके बाद ही कोर्ट एसएलपी पर सुनवाई करेगी।

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क्या है पूरा मामला?

क्या है पूरा मामला?

जेवीवीएनएल के सहायक अभियंता हर्षाधिपति की ओर से मार्च, 2022 में बाड़ी थाने में मलिंगा और उसके साथियों पर मारपीट करने सहित एससी, एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज कराया था। वहीं, 17 मई, 2022 को हाईकोर्ट ने मलिंगा को जमानत का लाभ दे दिया। इस आदेश को पीड़ित ने हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए कहा कि जमानत मिलने के बाद पीड़ित को धमकाया गया और मलिंगा ने जुलुस निकालकर कानून का मजाक उड़ाया।

मलिंगा के खिलाफ गवाह को धमकाने को लेकर एफआईआर भी दर्ज कराई गई है। इस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने 5 जुलाई को मलिंगा को मिली जमानत को रद्द कर उसे तीस दिन में सरेंडर करने को कहा। इस आदेश को मलिंगा ने एसएलपी के जरिए सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। इस पर गत 22 जुलाई को अंतरिम सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाते हुए मलिंगा को राहत दी थी।