नागरिकता संशोधित कानून और एनआरसी को लेकर राजधानी दिल्ली के शाहीन बाग में चल रहे प्रदर्शन को हटाने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई टाल दी है। कोर्ट का कहना है कि दिल्ली में अभी हालात ठीक नहीं है इसलिए सुनवाई टाल देनी चाहिए। कोर्ट ने यह सुनवाई होली के बाद करने का फैसला किया है। 23 मार्च को इस मामले पर अगली सुनवाई होगी।

कोर्ट ने इस दौरान कहा कि अभी सुनवाई का उपयुक्त समय नहीं है। इसके अलावा कोर्ट ने पुलिस को समय पर उचित कार्रवाई नहीं करने को लेकर फटकार लगाई। न्यायमूर्ति के. एम. जोसेफ ने कहा कि पुलिस ने पेशेवर रवैया नहीं अपनाया। उन्होंने अमेरिका तथा ब्रिटेन में पुलिस का उदाहरण देते हुए कहा कि अगर कुछ गलत होता है कि पुलिस को कानून के अनुसार पेशेवर तरीके से काम करना होता है।उच्चतम न्यायालय ने कहा कि अगर उकसाने वाले लोगों को पुलिस बच कर निकलने नहीं देती तो यह सब नहीं होता। बता दें कि प्रदर्शनकारी पिछले 70 दिन से नोएडा-फरीदाबाद सड़क अवरुद्ध है। सुप्रीम कोर्ट इस मामले को लेकर सुनवाई कर रहा था।

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गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े, साधना रामचंद्रन और पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त वजाहत हबीबुल्लाह को शाहीन बाग से प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए मध्यस्थ नियुक्त किया था। कोर्ट ने मध्यस्थता करने को लेकर कहा कि वार्ताकारों को सफलता नहीं मिली। बता दें कि हबीबुल्लाह ने रविवार को शाहीन बाग प्रदर्शन को सही बताते हुए दिल्ली पुलिस को ही इसके लिए जिम्मेदार ठहराया था। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने उच्चतम न्यायालय को बताया कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने हिंसा के संबंध में याचिकाओं पर सुनवाई की है। इसके बाद न्यायालय ने दिल्ली हिंसा से संबंधित याचिकाओं का निस्तारण करते हुए कहा कि उच्च न्यायालय इस मामले पर विचार करेगा।

उत्तरपूर्वी दिल्ली में साम्प्रदायिक हिंसा में मरने वाले लोगों की संख्या बढ़कर बुधवार को 20 हो गई।सॉलिसिटर जनरल ने न्यायालय से दिल्ली हिंसा से संबंधित प्रतिकूल टिप्पणियां न करने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि इससे पुलिस बल हतोत्साहित होगा। न्यायालय ने उन्हें बताया कि उसके विचारों को गलत न समझें क्योंकि ये टिप्पणियां दीर्घकालिक निहितार्थों को ध्यान में रखकर की गई हैं।