देश के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने गुरूवार को कहा कि देश कठिन दौर से गुजर रहा है। चीफ जस्टिस ने संशोधित नागरिकता कानून पर दाखिल हुई एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान ये बातें कहीं। कोर्ट ने कहा कि सभी लोगों को स्थिति को भड़काने से बचना चाहिए। बता दें कि पुनीत के ढांडा की तरफ से वकील विनीत ढांडा ने सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की है। इस जनहित याचिका में कोर्ट से मांग की गई कि संशोधित नागरिकता कानून (CAA) को संवैधानिक करार दिया जाए और सभी राज्यों के लिए इसे लागू करना अनिवार्य कर दिया जाए।
इस पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे और जस्टिस बीआर गवई की पीठ ने कहा कि ‘जैसा कि इसे (सीएए) लेकर काफी हिंसा हो रही है। आप और परेशानी पैदा करना चाहते हैं। हम एक मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं। यह मुश्किल समय है। ऐसी चीजें सुझाएं, जिससे शांति आए।’
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि “आपकी याचिका अलग है। यह पहली बार है कि हम ऐसी याचिका सुन रहे हैं, जिसमें मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट कानून को संवैधानिक करार दे।” गौरतलब है कि आमतौर पर सुप्रीम कोर्ट में संशोधित नागरिकता कानून को लेकर जो याचिकाएं दाखिल की गई हैं, उनमें इस कानून को असंवैधानिक करार देने की मांग की गई है।
हालांकि बेंच शुक्रवार को इस याचिका पर सुनवाई करेगा। वहीं संशोधित नागरिकता कानून की वैधता को चुनौती देने को लेकर दाखिल की गई 60 अन्य याचिकाओं पर कोर्ट 22 जनवरी को ही सुनवाई करेगा।
बता दें कि संशोधित नागरिकता कानून के तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए हिंदू, सिख, ईसाई, जैन, पारसी और बौद्ध शरणार्थियों को, जो कि 31 दिसंबर, 2014 से पहले भारत आए हैं, उन्हें भारत की नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है। इस कानून में मुस्लिमों को शामिल नहीं किया गया है, जिसके चलते इसका विरोध हो रहा है। संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ दाखिल की गई याचिकाओं में कहा गया है कि मुस्लिमों को इसमें शामिल नहीं किया गया है, जिससे यह कानून एंटी-सेक्यूलर है और समानता के अधिकार का भी उल्लंघन करता है।
इससे पहले कोर्ट ने जामिया में पुलिस की कथित बर्बरता के खिलाफ दाखिल की गई याचिका पर सुनवाई से यह कहकर इंकार कर दिया था कि पहले हिंसा रुकनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट जाने को कहा था।