साल 2002 में गोधरा रेलवे स्टेशन (Godhara Railway Station) पर साबरमती एक्सप्रेस की बोगियों को जलाने के 8 आरोपियों को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी गई है। ये आठों कैदी उम्रकैद की सजा काट रहे थे। इसके अलावा चार अन्य की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने विचार करने से इनकार कर दिया है। ऐसा हिंसा में इनकी भूमिका को लेकर किया गया। CJI के नेतृत्व वाली बेंच ने जिन चार आरोपियों की याचिका पर विचार से इनकार किया, उनकी याचिका पर बेंच ने कहा, “हम इस स्तर पर उन्हें जमानत देने के इच्छुक नहीं हैं।”
सुनवाई के दौरान भारत के लिए सॉलिसिटर जनरल ने चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच से कहा कि मुझे सिर्फ चार व्यक्तियों से उनकी भूमिकाओं के कारण कुछ समस्या है।
उन्होंने कहा कि इनमें से एक के पास से एक लोहे का पाइप मिला था, दूसरे के पास से धारिया मिला था। यह हंसिया जैसा दिखने वाले हथियार के लिए इस्तेमाल होने वाला गुजराती शब्द है। एक और दोषी ट्रेन के कोच को जलाने के लिए इस्तेमाल किए गए पेट्रोल की खरीद, स्टोरेज और ले जाते हुए पाया गया था। आखिरी आरोपी ने पैसेंजर्स पर हमला किया था, जिस वजह से उन्हें चोट पहुंची और उसने लूट भी की।
मई 2022 में पहली बार दी गई थी जमानत
पिछले साल 13 मई 2022 को कोर्ट ने एक दोषी अब्दुल रहमान धंतिया को 6 महीने के लिए अंतरिम बेल दी थी। दरअसल अब्दुल रहमान की पत्नी टर्मिनल कैंसर से पीड़ित थीं और उनकी बेटियां भी मेंटली चैलेंजड थीं। इसे ही आधार मानते हुए कोर्ट ने अब्दुल रहमान को 6 महीने के लिए जमानत दी थी। 11 नवंबर 2022 को कोर्ट ने बेल की अवधि 31 मार्च 2023 तक बढ़ा दी थी। इसके अलावा पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने फारूक नाम के एक दोषी की इस आधार पर जमानत दी थी कि उसने 17 साल की कैद पूरी कर ली है औऱ उसने ट्रेन पर पत्थर फेंके थे।
क्या है मामला?
गुजरात के गोधरा में 27 फरवरी 2022 को एक उग्र भीड़ ने सबारमती एक्सप्रेस के कोच में आग लगा दी थी। इस हादसे में 58 कारसेवकों की मौत हो गई थी। साल 2011 में इस मामले में ट्रायल कोर्ट ने 31 लोगों को दोषी ठहराया था। इनमें से 11 को मृत्यु दंड दिया गया था, इसके अलावा 20 को उम्र कैद की सजा सुनाई गई थी। मामले में 63 लोगों को बरी कर दिया गया था। साल 2017 में गुजरात हाई कोर्ट ने जिन 11 लोगों को मृत्यु दंड की सजा सुनाई गई थी, उनकी सजा को उम्र कैद में बदल दिया था।