Article 370: आर्टिकल 370 मामले में सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए लेक्चरर जफूर अहमद भट्ट के निलंबन का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को इस मामले में सरकार से सवाल पूछा है। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने लेक्चरर के निलंबन पर सवाल उठाए हैं। जफूर अहमद भट्ट बीते सप्ताह सुनवाई के दौरान कोर्ट में पेश हुए थे।

वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल की ओर से लेक्चरर के सस्पेंड का मुद्दा कोर्ट में उठाया गया था। सिब्बल ने कोर्ट में कहा कि भट्ट ने कोर्ट में पेश होने के लिए दो दिन की छुट्टी ली थी, लेकिन वो वापस जाते ही सस्पेंड हो गए। सिब्बल ने कहा कि यह ठीक नहीं है, मुझे विश्वास है कि एजी इस मामले को देखेंगे। एसजी तुषार मेहता ने निलंबन से जुड़े दस्तावेज कोर्ट में पेश करने की बात कही।

एसजी तुषार मेहता ने कहा, ‘मैंने न्यूज पेपर में पढ़ने के बाद इस मामले की जानकारी जुटाई है। अखबारों में जो कहा जा रहा है वो शायद पूरी तरह से सच नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि कुछ और भी मुद्दे हैं। वह कई कोर्ट में पेश हुए हैं। हम इसे अदालत के सामने पेश कर सकते हैं। इस पर कपिल सिब्बल ने कहा, ‘तो फिर उसे पहले ही सस्पेंड किया जाना था, लेकिन अब क्यों? यह लोकतंत्र के काम करने का तरीका नहीं है।

कपिल सिब्बल ने कहा, ’24 को भट्ट पेश हुए और अगले ही दिन उसको निलंबित कर दिया गया।’ उन्होंने एसजी तुषार मेहता के दखल देते हुए 25 अगस्त को जारी निलंबन आदेश पेश कर दिया।

जानिए सीजेआई ने क्या कहा?

CJI डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा,’कोई शख्स जो इस कोर्ट के सामने पेश हुआ है, वह सस्पेंड हो गया है।’ सीजेआई ने एजी आर वेंकटरमणी इस मामले की जांच करने के लिए कहा है। चीफ जस्टिस ने कहा कि उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से बात कीजिए और देखिए क्या हुआ है। अगर इससे कुछ अलग मामला है तो फिर और बात है, लेकिन यह पूरा घटनाक्रम कोर्ट में पेश होने के थोड़े वक्त बाद ही क्यों हुआ?

संवैधानिक बेंच में शामिल जस्टिस कौल ने कहा, ‘इस मामले में टाइमिंग ठीक नहीं है। जस्टिस गवई ने भी सवाल पूछा- इतनी आजादी का क्या हुआ?

जफूर अहमद भट्ट ने किया दिया था तर्क?

लेक्चरर जफूर अहमद भट्ट ने जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने के तरीके पर सवाल उठाए। भट्ट ने इस बात पर जोर दिया कि वो छात्रों को भारतीय संविधान और लोकतंत्र के बारे में बताने में मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। उन्होंने कोर्ट को बताया, ‘जब हम जम्मू-कश्मीर के छात्रों को संविधान के सिद्धांत पढ़ाने के लिए जाते हैं तो यह मेरे जैसे अध्यापक के लिए काफी चुनौतीपूर्ण है। छात्र कई बार बहुत मुश्किल सवाल पूछते हैं। जैसे- 5 अगस्त, 2029 को जो हुआ उसके बाद भी लोकतंत्र है? भट्ट ने कहा- इस तरह के सवालों के जवाब देना मेरे लिए काफी मुश्किल होता है।

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र के शीर्ष कानून अधिकारी को निर्देश दिया कि वह जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से बात करें और पता लगाएं कि केंद्र शासित प्रदेश के शिक्षा विभाग के एक लेक्चरर को अनुच्छेद 370 को खत्म करने के खिलाफ बहस करने के लिए अदालत में पेश होने के कुछ दिनों बाद निलंबित क्यों किया गया। जानना चाहता था कि क्या निलंबन व्याख्याता की अदालत के समक्ष उपस्थिति से जुड़ा था और संकेत दिया कि यदि ऐसा होता तो इसे कम देखा जाएगा, यह सुझाव देते हुए कि इसे “प्रतिशोध” के रूप में देखा जा सकता है।