लद्दाख पर्वतीय विकास परिषद के चुनाव की अधिसूचना को सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को रद्द कर दिया। लद्दाख पर्वतीय विकास परिषद के चुनाव पहले 10 सितंबर को होने थे। सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान इस याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था।

लद्दाख पर्वतीय विकास परिषद के चुनाव को लेकर 5 अगस्‍त को अधिसूचना जारी की गई थी। लद्दाख प्रशासन ने नेशनल कांफ्रेंस को ‘हल’ चुनाव चिह्न देने से इंकार कर दिया था। हाईकोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे गलत बताया। सुप्रीम कोर्ट ने फिर से 7 दिन के अंदर नई अधिसूचना जारी करने का निर्देश दिया।

सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने नेशनल कॉन्फ्रेंस को ‘हल’ चुनाव चिह्न आवंटित करने का विरोध करने वाली लद्दाख प्रशासन की याचिका भी खारिज कर दी और उस पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। लद्दाख चुनाव आयोग के आदेश को अनुचित करार देते हुए यूटी के चुनाव आयोग पर जुर्माना लगाते हुए एक सप्‍ताह के अंदर नई अधिसूचना जारी करने का आदेश दिया है।

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‘हल’ नेशनल कांफ्रेंस का रजिस्‍टर्ड चुनाव चिह्न है। लेकिन चुनाव आयोग ने पार्टी को एलएएचडीसी के चुनावों के दौरान इसका इस्‍तेमाल करने से रोक दिया था। लद्दाख प्रशासन ने कहा था कि एनसी समेत कोई भी दल लद्दाख में मान्‍यता प्राप्‍त राजनीतिक दल नहीं है। और इसीलिए वह ‘हल’ को अपने प्रतीक के रूप में दावा नहीं कर सकता है।

नेशनल कांफ्रेंस ने इसी आधार पर आदेश को चुनौती दी थी कि करगिल की पहाड़ी विकास परिषद में पदाधिकारी के रूप में पार्टी पहले से उसके लिए आरक्षित प्रतीक पर चुनाव लड़ना चाहती थी। एलएएचडीसी करगिल की 26 सीटों के लिए हुए चुनाव में अब तक 89 उम्‍मीदवार मैदान में थे, जिनमें भाजपा के 17, आम आदमी पार्टी 4 , कांग्रेस के 21 और 47 निर्दलीय उम्‍मीदवार शामिल हैं। नेशनल कांफेंस को अपने चुनाव चिह्न का उपयोग करने की अनुमति नहीं थी, इसलिए पार्टी के 17 उम्‍मीदवार स्‍वतंत्र उम्‍मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे थे।