पहलगाम हमले के बाद भारत ने पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द कर दिए हैं और उन्हें वापस उनके देश भेजा जा रहा है। इस सबके बीच सालों से भारत में रह रहे कई परिवारों ने उन्हें यहीं रहने देने की अपील की है। वाहन, सुप्रीम कोर्ट ने अधिकारियों से जम्मू-कश्मीर के उस परिवार के 6 सदस्यों के पहचान पत्रों की पुष्टि करने को कहा जो पाकिस्तान भेजे जाने की कगार पर हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अधिकारियों से कहा कि वे परिवार के छह सदस्यों के खिलाफ पाकिस्तान निर्वासित करने जैसी कोई बलपूर्वक कार्रवाई न करें।

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अधिकारियों से कहा कि वे वीजा अवधि समाप्त होने के बाद भी यहां रह रहे एक परिवार के 6 सदस्यों के खिलाफ पाकिस्तान वापस भेजने जैसी कोई दंडात्मक कार्रवाई तब तक न करें जब तक उनके पहचान पत्रों के सत्यापन पर आदेश नहीं आ जाता। इस परिवार के सदस्य कश्मीर के निवासी हैं और उनका बेटा बेंगलुरु में काम करता है। पहलगाम में आतंकवादी हमले के मद्देनजर उन्हें पाकिस्तान भेजा जा सकता है।

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जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि यह मामला मानवीय पहलू से जुड़ा है। उसने परिवार को यह छूट दी कि दस्तावेज सत्यापन के आदेश से असंतुष्ट होने पर वह जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकता है। न्यायालय ने अहमद तारिक भट्ट और उनके परिवार के पांच अन्य सदस्यों की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया।

परिवार ने दावा किया है कि उनके पास वैध भारतीय दस्तावेज होने के बावजूद उन्हें हिरासत में लिया गया और पाकिस्तान भेजने के लिए वाघा सीमा पर ले जाया गया। जिस पर पीठ ने कहा कि पहलगाम हमले के बाद केंद्र ने 25 अप्रैल की अधिसूचना में आदेश में लिखे गए लोगों को छोड़कर शेष पाकिस्तानी नागरिकों का वीजा रद्द कर दिया है और उन्हें वापस भेजने के लिए एक विशिष्ट समयसीमा भी दी है। पढ़ें- पाकिस्तान में दहशत का माहौल

(इनपुट- पीटीआई-भाषा)