महाराष्ट्र की सियासत में शिवसेना के बंटवारे से शुरू हुआ सत्ता को लेकर जारी संघर्ष अभी भी जारी है। इस मामले से जुड़ी एक सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही है। शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट से महाराष्ट्र के तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के जून 2022 के आदेश को रद्द करने का अनुरोध किया, जिसमें मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए कहा गया था।

ठाकरे गुट की ओर से पेश हुए वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि अगर ऐसा नहीं किया गया तो लोकतंत्र खतरे में पड़ जाएगा। ठाकरे गुट की ओर से पेश वरिष्ठ ‍वकील कपिल सिब्बल ने प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ से आदेश को रद्द करने की अपील की।

सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर आश्चर्य जताया कि वह महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे सरकार को कैसे बहाल कर सकता है जबकि पूर्व मुख्यमंत्री (उद्धव ठाकरे) ने फ्लोर टेस्ट का सामना किए बिना ही इस्तीफा दे दिया था। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि यह सरकार को बहाल करना तार्किक बात तब होती जब आपने इस्तीफा नहीं दिया होता, आप विश्वास मत खो चुके हैं।

कोर्ट ने और क्या कहा?

कोर्ट ने कहा कि ऐसा नहीं है कि आपको विश्वास मत के कारण सत्ता से बेदखल किया गया है, जिसे राज्यपाल ने गलत तरीके से तलब किया था। आप विश्वास मत का सामना ही नहीं करना चाहते थे। सीजेआई ने कहा कि यदि आप विश्वास मत खो चुके हैं तो यह एक तार्किक बात होगी, ऐसा नहीं है कि आपको सरकार ने बेदखल कर दिया है, आपने विश्वास मत का सामना ही नहीं किया? सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि यह ऐसा है जैसे अदालत को उस सरकार को वापस बहाल करने के लिए कहा जा रहा है जिसने स्वीकार किया है कि वह अल्पमत में है।

इस दौरान जस्टिस शाह ने पूछा कि अदालत एक ऐसे मुख्यमंत्री को कैसे बहाल कर सकती है, जिसने फ्लोर टेस्ट का सामना भी नहीं किया है? इस पर अभिषेक मनु सिंघ्वी ने सिर्फ इतना कहा कि राज्यपाल द्वारा गैरकानूनी तरीके से फ्लोर टेस्ट बुलाया गया था। आज भी गैरकानूनी सरकार चल रही है, यहां कोई चुनाव नहीं हुआ है।