Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक वकील को जमकर कड़ी फटकार लगाई। उसने आरोप लगाया था कि जजों के रिश्तेदारों को कोर्ट के द्वारा वरिष्ठ वकील के तौर पर नामित किया जा रहा है। जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस के वी विश्वनाथन की बेंच वकील मैथ्यूज जे नेदुम्परा और अन्य वकीलों की तरफ से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

इस याचिका में दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा हाल ही में 70 वकीलों को वरिष्ठ वकील के तौर पर नामित करने के फैसले को रद्द करने का आग्रह किया गया था। याचिका में लगाए गए आरोपों पर सवाल उठाते हुए बेंच ने सवाल किया, ‘आप कितने जजों के नाम बता सकते हैं जिनके वंशजों को सीनियर बनाया गया है।’ इस पर वकील नेदुम्परा ने एक चार्ट दिखाया।

सुप्रीम कोर्ट ने दी वॉर्निंग

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, कोर्ट ने इस दलील को नहीं माना और याचिका से आरोपों को हटाने की वॉर्निंग दी। बेंच ने कहा, ‘हम आपको याचिका में संशोधन करने की स्वतंत्रता देंगे और यदि इसमें संशोधन नहीं किया गया तो हम तदनुसार कदम उठाएंगे।’ जब नेदुम्परा ने कहा कि बार को जजों से डर लगता है, तो कोर्ट ने उनकी दलीलों पर आपत्ति जताई।

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जस्टिस बीआर गवई ने लगाई कड़ी फटकार

जस्टिस बीआर गवई ने टिप्पणी करते हुए कहा, ‘यह कानून की अदालत है, बंबई का आजाद मैदान नहीं जहां भाषण दिए जाएं। कानूनी दलीलें दीजिए, गैलरी के लिए नहीं।’ आखिरकार कोर्ट ने वकील को दलीलों पर गौर करने का वक्त दिया और यह विचार करने का टाइम दिया कि क्या उन्हें हटाने की जरूरत है। इसमें वॉर्निंग दी गई कि ऐसी याचिका पर साइन करने वाले वकील भी अवमानना के दोषी हैं।

दिल्ली हाई कोर्ट में वकीलों की नियुक्ति विवादों में रहीं

दिल्ली हाई कोर्ट में वकीलों की हाल की नियुक्ति शुरू से ही विवादों में रही है , स्थायी समिति के एक सदस्य ने यह दावा करते हुए इस्तीफा दे दिया कि आखिरी लिस्ट उनकी सहमति के बिना तैयार की गई थी। पैनल में दिल्ली सरकार के प्रतिनिधि वरिष्ठ वकील सुधीर नंदराजोग ने आखिरी लिस्ट पर साइन नहीं किए थे। इतना ही नहीं यह भी दावा किया कि मूल लिस्ट से छेड़छाड़ की गई थी। ‘मुख्तार अंसारी की मेडिकल और मौत की जांच रिपोर्ट उसके बेटे को सौंपें’, सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को दिया आदेश पढ़ें पूरी खबर…