Nithari Serial Killings Case: सुप्रीम कोर्ट ने निठारी हत्याकांड के आरोपी मोनिंदर सिंह पंढेर और उसके घरेलू सहायक सुरेंद्र कोली को बरी कर दिया। शीर्ष अदालत ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा। कोर्ट ने बरी किए जाने के खिलाफ सीबीआई, उत्तर प्रदेश सरकार और पीड़ित परिवारों की अपील खारिज कर दी।

सीजेआई बीआर गवई, जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस विनोद चंद्रन की तीन सदस्यीय पीठ ने सीबीआई की अपीलों को खारिज करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा। इस फैसले में हाईकोर्ट ने सुरेंद्र कोली और मनिंदर सिंह पंढेर को तमाम मामलों में बरी कर दिया था।

सुप्रीम कोर्ट की वकील मनीषा भंडारी ने सुरेंद्र कोली और मनिंदर सिंह पंढेर की ओर से कोर्ट में पक्ष रखते हुए कहा कि मामले में न तो कोई प्रत्यक्षदर्शी गवाह मौजूद है और न ही मजबूत वैज्ञानिक साक्ष्य जो फांसी जैसी सजा को सही ठहरा सकें। उन्होंने यह भी दलील दी कि बिना पर्याप्त सबूतों के फांसी की सजा देना न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है।

शीर्ष अदालत ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के 16 अक्टूबर, 2023 के आदेश को बरकरार रखा, जिसमें पंढेर और कोली को बरी कर दिया गया था और निचली अदालत की मौत की सजा को पलट दिया गया था। कोली और पंढेर दोनों पर 2006 में नोएडा के आसपास के इलाकों में बच्चों के साथ बलात्कार और हत्या का आरोप था।

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इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 16 अक्टूबर, 2023 को पंढेर को दो मामलों में और कोली को 12 मामलों में बरी कर दिया था। हाई कोर्ट ने सितंबर 2010 में पंढेर और कोली को मौत की सजा सुनाने वाले निचली अदालत के फैसले को पलट दिया था।

हालांकि, यह स्पष्ट किया गया है कि रिंपा हलदर मर्डर केस में सुरेंद्र कोली की फांसी की सजा अब भी बरकरार है। हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट दोनों ने इस विशेष मामले में फांसी की सजा को सही ठहराया है। इसके अलावा एक अन्य मामले में सुरेंद्र कोली की फांसी की सजा को देरी के आधार पर उम्रकैद में बदला जा चुका है। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस वर्मा को फटकार लगाई है।