Ram Mandir Ayodhya: अयोध्या (Ayodhya) में निर्माणाधीन राम मंदिर (Ram Mandir) का काम वर्ष 2024 में पूरा हो जाएगा। राम मंदिर (Ram Mandir) के निर्माण की तैयारियां जोर शोर से चल रही हैं। सरकारी वैज्ञानिकों को एक ऐसा ऑप्टोमैकेनिकल सिस्टम विकसित करने के लिए कहा गया है जिसके जरिए हर साल राम नवमी पर मंदिर में राम मूर्ति के माथे पर सूर्य की किरण प्रदर्शित होंगी। वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद-केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर-सीबीआरआई) रुड़की और दो अकादमिक संस्थानों के खगोलविद सिस्टम के डिजाइन पर काम कर रहे हैं।
क्या है योजना
ऑप्टोमैकेनिकल सिस्टम में लेंस, दर्पण और माइक्रोकंट्रोलर का उपयोग होगा। जिसे सूर्य की बदलती स्थिति के साथ तालमेल बिठाया जाएगा। सूर्य की किरणें हर साल राम नवमी पर मूर्ति के माथे पर एक बिन्दु पर पड़ेगी। वैज्ञानिक की एक टीम ने यहां डेमो करते हुए कुछ सीन क्रिएट कर दिखाए। इसमें एक रोशनी दिशा को ठीक उस एंगल में प्रदर्शित किया गया है जिस एंगल में रामनवमी के दिन ठीक 12 बजे सूर्य देव की स्थिति होगी। वैज्ञानिकों के अनुसार इस संबंध में एक रेखाचित्र भी तैयार किया गया है। जिसमें रामलला विराजमान और सूर्य देव की स्थिति को दर्शाया गया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने जताई थी इच्छा
राम मंदिर निर्माण के दौरान चल रही तैयारियों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी(Narendra Modi) ने यह इच्छा जाहिर की थी कि अयोध्या में राम मंदिर (Ram Mandir) में विराजमान राम लला की मूर्ति के माथे पर सूर्य की किरण प्रदर्शित हों। उन्होने वैज्ञानिकों से इस मामले को लेकर चर्चा भी की थी। जिसके बाद इस योजना को लेकर वैज्ञानिकों ने एक डेमों पेश किया है।
कमेटी का किया गया है गठन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के निर्देश के बाद से इस मामले को लेकर वैज्ञानिकों की अलग-अलग टीम काम करने में जुट गयी थीं। इसके लिए ओडिशा (Odisha) स्थित कोणार्क का सूर्य मंदिर को उदाहरण के तौर पर लिया गया जहां मंदिर के अंदर सूर्य की किरणें पहुंचती हैं। राम मंदिर (Ram Mandir) की तैयारियों के बीच इस काम को सफल बनाने के लिए एक कमेटी का गठन भी किया गया है। इसमें भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) दिल्ली, आइआइटी मुम्बई, आइआइटी रुड़की सहित राट्रीय भवन निर्माण संस्थान के विशेषज्ञ शामिल हैं।