एक दिन भोपाल से खबर आती है कि ‘यूसीसी’ यानी ‘समान नागरिक संहिता’ लागू होनी है। इसके बाद तो हर चैनल कोरस गाता दिखा: यूसीसी आ रहा है, यूसीसी आएगा… और साथ यह ‘स्थायी’ भी बजता रहता कि विपक्ष भड़का रहा है, भड़का चुका है, भड़काएगा।… बीस विपक्षी बीस लाख करोड़ का घोटाला। विपक्ष का मतलब घोटाले की गारंटी और मेरी घोटालेबाजों को सजा दिलाने की गारंटी।…

विपक्ष उवाच कि विपक्षी एकता से प्रधानमंत्री डरे।… यूसीसी का मतलब ध्रुवीकरण।… एक मुसलिम नेता जी कहिन कि मुसलमानों के घरों पर बुलडोजर चला रहे हैं। पसमांदाओं के लिए घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं। यूसीसी ‘हिंदू सिविल कोड’ है।…

फिर एक चैनल के एक सर्वे ने विपक्ष की हवा निकाल दी कि कुछ भी कर लो, कांग्रेस अभी दूर-दूर तक आती नहीं दिखती! फिर भी विपक्षी प्रवक्ता अड़े दिखते रहे कि जनता ने मन बना लिया है, ये वापस नहीं आ रहे! जब पूछते कौन आ रहे हैं, तो कहते हैं जनता आ रही है।… फिर एंकर चिल्लाए कि हम पूछ रहे थे चेहरा कौन, तो चेहरा बताते।… लेकिन विपक्ष कहिन कि हम विपक्ष हैं, हम गोल बदलें या पोस्ट ही गायब करें, तू क्या कर लेगा गोदी मीडिया।… जब अपनी-सी न हो तो एंकर को ठोको, फिर शुरू हो जाओ मणिपुर, महंगाई, बेरोजगारी, किसान, टमाटर।… विपक्ष की यही मीडिया नीति लगती है। एक ओर यूसीसी का भजन है तो दूसरी ओर मणिपुर, महंगाई, बेरोजगारी, किसान, टमाटर और फिर कि ‘जनता ने मन बना लिया है, ये सरकार वापस नहीं आ रही।’

एक बहस में पसमांदा मुसलिम विद्वान कहता है कि पचहत्तर साल में हमारी बात किसी ने नहीं की, अब इन्होंने की है। हम खुश हैं। वीएचपी ने कहा: हम अपने सुझाव देंगे।

फिर खबरें आने लगीं कि यूसीसी ने विपक्षी एकता में दरार डाल दी है: बिहार सत्तादल के एक नेता ने कहा कि यूसीसी ठीक है। लाएं तो सबकी राय से लाएं। फिर दिल्ली सरकार के एक नेता ने कह दिया कि यूसीसी ठीक, लेकिन सबकी राय से लाएं।
लेकिन मुसलिम पर्सनल ला बोर्ड अड़ता दिखा कि यूसीसी से किसी को फायदा नहीं। हम अपना मसविदा तैयार करेंगे। भाजपा राजनीति कर रही है।

एक वरिष्ठ विपक्षी नेता ने ट्वीट किया: यह ध्रुवीकरण का औजार है। दूसरे बोले कि संविधान में इसकी गुंजाइश ही नहीं। एक विपक्षी कहिन कि कहीं कोई तूफान न आ जाए।… इस पर एक एंकर ने ऐसे बयान को ठोका कि यह धमकी क्यों? आप अपनी बात कहिए। भड़काते क्यों हैं?

चैनलों की बहसें कई दिन तक ‘यूसीसी’ पर अटकी रहीं। विपक्षी प्रवक्ता एक ही सवाल करते कि सरकार को नौ साल हो गए। पहले क्यों न लाए। चुनाव सामने हैं, इसलिए ला रहे हैं।… जवाब में एक प्रवक्ता ने कहा कि देर आयद दुरुस्त आयद! किसी ने न कहा कि पहले लाते, तो क्या साथ देते!

फिर एक दिन विपक्ष के प्रवक्ता ने आरोप लगाए कि अमेरिका से ‘प्रीडेटर ड्रोन’ को इतना महंगा क्यों लिया, टेंडर क्यों न किया, इसे तो डीआरडीओ बना देता।… यानी कि दाल में काला है।… अगले रोज दो चैनलों ने सौदे के बारे में स्पष्ट किया कि कई बरस से बात चल रही थी, खरीद प्रक्रिया लंबी है, सरकार से सरकार की खरीद है, सबसे ‘उत्तम’ सामरिक माडल ले रहे हैं, सस्ता है, अभी खरीद प्रक्रिया पूरी नहीं हुई, खरीद प्रस्ताव पर अमेरिकी संसद में मुहर लगेगी। सो, यह आरोप बकवास है।… और इसका प्रतिवाद अब तक नहीं दिखा!

फिर एक दिन दुनिया के दो बड़े धनकुबेरों के ‘ईगो’ ने खबर बनाई कि एलन मस्क ने मार्क जुकरबर्ग को ‘जू जित्सू’ मार्शल आर्ट्स शैली में लड़ने की चुनौती दी है। मार्क जुकरबर्ग ने इसे कबूल किया है। एक चैनल ने चुटकी ली कि देखें तो इनमें कौन जीतेगा। फिर खबर दी कि एलन मस्क दुनिया के सबसे उत्तम प्रशिक्षकों से प्रशिक्षण लेने वाले हैं। जल्द ही लड़ाई का दिन तय होगा। सच कहूं, ये दुनिया के बड़े धनकुबेर अपनी इस कुश्ती पर टिकट लगाकर इसे भी बेच खाएंगे।

सच! सब नई बेशर्म पूंजी का कमाल है। जब यह इतराती है तो ऐसे ही नए धनकुबेर एक दिन एक ‘पनडुब्बीनुमा’ में बैठ ‘टाइटेनिक’ को खोजने के ‘एडवेंचर टूर’ में या तो समुद्र में बेआवाज डूब जाते हैं या फिर ‘ड्यूएट’ लड़ने को ललकारते हैं… यह नई बड़ी पूंजी का इतराना है!

बहरहाल, तमिलनाडु से एक गजब खबर यह रही कि वहां के महामहिम राज्यपाल ने भ्रष्टाचार में आरोपी एक मंत्री को मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया।… भई, मंत्री की बर्खास्तगी का हक तो सीएम का सुना था, यह राज्यपाल का कैसे हो गया? डीएमके सरकार ने कहा, वह इसे कानूनी चुनौती देगी।… इसके बाद खबर रही कि कानूनी राय लेने तक इस आदेश को रोक दिया गया है!

इस बीच जातीय हिंसा में जलते मणिपुर दौरे पर जाते अपने प्यारे भैया जी को रोका गया। पुलिस ने कहा कि सड़क से जाने में जोखिम है, इसलिए हेलिकाप्टर से जाएं, लेकिन प्रवक्ता कहते रहे कि इजाजत होने पर भी रोका क्यों गया? बहरहाल, भैया जी प्रभावित क्षेत्र गए, फिर प्रेस से बोले कि मैं सबसे शांति की अपील करता हूं, हिंसा से कुछ नहीं होने वाला। जब एक रिपोर्टर ने ‘पीएम की चुप्पी’ के बारे में पूछा तो बोल दिए कि मैं यहां राजनीति करने नहीं आया हूं।… पहली बार राहुल ने स्थिति की नजाकत देखते हुए अपने पर काबू किया। अच्छा किया।

फिर शुक्रवार की दोपहर उत्तराखंड की यूसीसी समिति ने प्रेस को बताया कि ड्राफ्ट तैयार है, जो सरकार को दिया जाना है। फिर एक चैनल ने लाइन लगाई कि संसद के मानसून सत्र में ही यूसीसी आना है, यानी कि आया यूसीसी झूम के।