उत्तराखंड की विधानसभा ने समान नागरिक संहिता यानी ‘यूसीसी’ पास किया। यानी राज्य में ‘निजी कानूनों’ की जगह अब ‘समान नागरिक कानून’ होगा। बाकी सब समुदायों की परंपराएं, खानपान, रीति-रिवाज बदस्तूर बने रहेंगे और आदिवासी इससे बाहर रहेंगे। इसकी देखादेखी असम, राजस्थान, मध्यप्रदेश से भी ऐसे ही सुर बजे कि हम भी लाएंगे ‘यूसीसी’।

और निंदकजन शुरू। एक कहिन: आदिवासी क्यों बाहर? दूसरे कहिन: गोवा में था, उसे अपना लेते। तीसरे कहिन कि इसे केंद्र सरकार क्यों न लाई? तो जवाब आया, इसे राज्य भी ला सकते हैं। फिर एक स्वतंत्र टिप्पणी कि केंद्र पहले राज्य के स्तर पर परीक्षण करना चाहता है, फिर हो सकता है कि लाए।

संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर हुई बहस के जवाब में प्रधानमंत्री ने पहले लोकसभा में कांग्रेस की ‘खबर’ ली, फिर राज्यसभा में और जम के खबर ली। एक बार खरगे के मुंह से शायद व्यंग्य में निकल गया कि प्रधानमंत्री जी कहते हैं, चार सौ पार। इसे सुन सामने बैठे प्रधानमंत्री समेत सत्ता पक्ष के सांसद हंसते दिखे। खरगे की सपाट हिंदी ने उनके व्यंग्य को भी सपाट कर दिया। और प्रधानमंत्री ने तुरंत अपने वक्तव्य में कटाक्ष मारा कि आपका आशीर्वाद सर आंखों पर।

प्रधानमंत्री के पास एक से एक व्यंग्यबाण रहे। अपनी रौ में उन्होंने बेहद चुटीला कटाक्ष किया कि विपक्ष का वहीं बैठने का संकल्प मुबारक। आप जिस तरह मेहनत कर रहे हैं, मैं जानता हूं ईश्वर रूपी जनता जनार्दन आपको आशीर्वाद देगी। जिस उंचाई पर हैं उससे भी अधिक ऊंचाई पर दिखेंगे। और दर्शक दीर्घा में दिखेंगे..!

इसी लपेट में उन्होंने दक्षिण से आती अलगाव की आवाजों को भी आड़े हाथों लिया कि देश को कब तक तोड़ते रहोगे। राज्यसभा में उनका सुर और भी तीखा रहा। पहले उन्होंने ‘भारतीयों के काहिल स्वभाव’ के बारे में नेहरू के कथनों को धोया, फिर विपक्ष के उठाए एक एक आरोप को झूठा सिद्ध करते हुए विस्तार से जवाब दिया और एक टीप जड़ी कि हमने इतने ‘स्टार्टअप’ दिए, आपने युवराज का एक ‘स्टार्टअप’ दिया, वो भी ‘स्टार्ट’ न हो पाया। इसके आगे तो सदन का ठहाका था!

प्रधानमंत्री के भाषणों को ‘डीकोड’ करने में एक से एक भक्त और अभक्त लगे रहे। भक्त कहते ये मोदी की गारंटी की गारंटी है, देश मोदी के साथ है इसीलिए ‘अबकी बार चार सौ पार’ की गारंटी है। तो, अभक्त कहते कि यह अहंकार है, जनता सबक सिखाएगी। भक्त कहते कि यह अहंकार नहीं, आत्मविश्वास है।

इसी बीच कर्नाटक सरकार के दो एमएलए ने ‘टुकड़े टुकड़े राग’ अलापा कि दक्षिण को हिंदी राज्य लूट रहे हैं। हम अलग राज्य की मांग करने के लिए मजबूर होंगे। एक भक्त ने जवाब दिया कि आप ‘चुनावी रेवड़ी’ बांटते हो, ये नहीं देखते कि पैसा कहां से आएगा। इसी तर्ज पर एक और दक्षिणी राज्य धमकी देता दिखा। इसी को देख प्रधानमंत्री ने कहा कि और आप और कितने टुकड़े करोगे। संसद में वित्तमंत्री ने कहा कि यह कहना कि केंद्र इनको इनका हक नहीं देता, तथ्यत: गलत है। एक चर्चक बोला कि यह ‘दक्षिणवाद’ 2024 में मोदी को रोकने के लिए है।

हर पल ‘जैसे को तैसा’ होता नजर आता है। इधर सरकार संसद में यूपीए के दस साल के कामकाज पर श्वेत पत्र लेकर आती है, तो उधर कांग्रेस एनडीए के दस वर्ष के कामकाज को लेकर स्याह पत्र जारी करती है। चैनल दोनों को दिखा-दिखा कर मजे लेते हैं। और, ईडी तो हर दिन की खबर है ही। एक दिन एक मुख्यमंत्री अंदर, तो दूसरे को अदालत आदेश देता है कि ईडी के सामने अमुक तिथि को हाजिर होना है। एक इसे ‘कट्टर ईमानदार’ की ‘विच हंट’ कहता है, दूसरा ‘कट्टर ईमानदार’ को ‘कट्टर भ्रष्ट’ और भगोड़ा बताता है।

इस बीच तीन चैनलों ने अपने सर्वेक्षण दिखाकर और ‘देश का मूड’ बता-बता कर विपक्ष की नींद हराम कर दी, हालांकि कोई सर्वेक्षण सत्ता के ‘अबकी बार चार सौ पार’ के दावे पर मुहर लगाता नहीं दिखता। इसी बीच जाट नेता जयंत चौधरी को एनडीए में लाने की बात, दूसरी ओर आंध्र के पक्ष-विपक्ष के दोनों नेताओं का एनडीए के द्वार पर दस्तक देना- एनडीए की चुनावी तैयारी को बताता रहा। चर्चक कहते रहे कि इधर ‘इंडिया’ कुनबे में ‘टूट-फूट’, उधर एनडीए का ‘अबकी बार चार सौ पार’ के लिए अपना कुनबा बढ़ाने की लगन!

जिन दिनों ‘दक्षिण राग’, उन्हीं दिनों मोदी की ओर से ‘भारत रत्न’ की बरसात! कुछ पहले कर्पूरी ठाकुर और आडवाणी, फिर इस शुक्रवार एक ही साथ तीन-तीन विभूतियों को मरणोपरांत भारत रत्न! इनमें एक पूर्व प्रधानमंत्री नरसिंह राव को, दूसरा किसान नेता पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरणसिंह को और तीसरा प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक स्वामीनाथन को! एक ही चोट में पश्चिमी यूपी, आंध्र और तमिलनाडु… खुल जा सिम सिम!