एक ट्वीट: ‘कूड़ा था कूड़ेदानी में चला गया’! यानी फिर वही कि ‘तुम अगर मुझको न चाहो तो कोई बात नहीं तुम किसी और को चाहोगे तो मुश्किल होगी’! फिर होता रहा ‘पलटूराम’, ‘पलटराम’, ‘पलटदास’, ‘गिरगिटों के भी गिरगिट’..! क्या क्या नहीं कहा गया, लेकिन ‘पलटराम’ ऐसे ‘पित्तमार’ कि एक जवाब नहीं। उनके प्रवक्ता कहिन कि वे जब भी आते हैं, सही जगह आते हैं। कई निंदक कहते दिखे कि यह ‘पलटी’ भी अंतिम नहीं। एक प्रवक्ता ने पहले ही कह दिया था कि वे नहीं, दूसरे ही उनकी ओर पलटते हैं। फिर ‘बिहार-हित’ में यह सब करना पड़ता है।
एक वरिष्ठ प्रवक्ता ने साफ किया कि हमने कांग्रेस को ‘लेजिटमेसी’ दिलाई, लेकिन उसके ‘गठजोड़’ ने हमारे साथ दगा किया। कुछ एंकर मस्त कि ‘इंडी’ की तो अब ‘पिंडी’ बन गई। जो सबको एक करने चला था वही चला गया… अब बचा क्या? एक भक्त प्रवक्ता ‘मंदिर’ के ‘मुहूर्त’ पर सवाल उठाने वालों पर कटाक्ष करते रहे कि ऐसे लोगों को पहले राहुल की ‘न्याय यात्रा’ के मुहूर्त के बारे पता कर लेना चाहिए कि वे किस ‘मुहूर्त’ में निकले कि जहां गए वहीं बंटाढार। बंगाल गए, ममता गई। बिहार गए, नीतीश गए। पंजाब से ‘आप’ गई। यूपी से ‘सपा’ गई। बचा क्या? इसे कहते हैं ‘बर्बादियों का शोक मनाना फिजूल था… बर्बादियों का जश्न मनाता चला गया’।
बहस में शाश्वत आक्रामक कांग्रेसी प्रवक्ता ने गाने को ‘सही’ किया कि ‘शोक’ नहीं ‘सोग’ है, तो जवाब आया कि ‘शोक’ ही से तो ‘सोग’ बना है… क्या गाने को इस तरह सही करके ‘कटाक्ष’ को ‘मंजूरी’ दी जा रही थी? जरा-सी ढीली गेंद और लगा ‘छक्का’! पूरे सप्ताह ‘ईडी’ खबरों में रही। इधर दो मुख्यमंत्रियों को समन पर समन, लेकिन वाह मुख्यमंत्री, कि समन ठेंगे से। एक को नौवां समन और वह इकतालीस घंटे गायब! इधर विपक्ष ने चिपकाया ‘गुमशुदा की तलाश’ वाला पोस्टर कि ‘खबर देने वाले को ग्यारह हजार का इनाम’ और उधर ‘नौ समन वाले’ मुख्यमंत्री के घर पर ‘ईडी’ के छापे। दो बीएमडब्लू और छत्तीस लाख नकद बरामद। इसके बाद मुख्यमंत्री अचानक पूछताछ के लिए हाजिर और गिरफ्तार।
फिर एक दिन लालू जी और एक दिन बेटा तेजस्वी ‘ईडी’ के सामने हाजिर और वही दृश्य कि आगे-आगे नेताजी पीछे-पीछे पीछे समर्थक जी नारे लगाते कि अपना नेता कैसा हो! इसे देख एक भक्त प्रवक्ता बोले ‘एक तो चोरी ऊपर से सीना जोरी’! ईडी की कार्रवाइयों पर बहसें चलती रहीं और हर बहस में कोई न कोई विपक्षी प्रवक्ता कहता रहा कि ‘ईडी’ अक्सर विपक्षी नेताओं को ही क्यों निशाने पर लेती है और दबाव में आकर सत्ता पक्ष में जाते ही कई नेता दूध के धुले कैसे हो जाते हैं? विपक्ष इसे भाजपा की ‘वााशिंग मशीन’ कहता है और सत्ता के प्रवक्ताओं के पास इस आरोप का कोई तसल्लीबख्श जवाब अक्सर नहीं दिखता!
इसी बीच विपक्ष एक बड़े नेता ने देश को चेताया कि वोट देने का यह आखिरी मौका है… इसके बाद चुनाव नहीं होगा… डर के कोई दोस्ती छोड़ रहा है, कोई पार्टी छोड़ रहा है। इतने डरपोक लोग हैं तो ये क्या मुल्क को बचाएंगे..! डरा विपक्ष कहता है कि सत्ता हमसे डरी हुई है, इसीलिए हमें डराती रहती है, लेकिन हम डरने वाले नहीं! ऐसे ‘डरे निडरे’ वीरों को हमारा सादर नमन!
इसी बीच ‘प्राण प्रतिष्ठा’ में शामिल होने वाले इमाम इलियासी को फतवा दे दिया गया तो कई चैनल बहसने लगे कि इस देश में फतवा चलेगा या कानून? इलियासी बोले कि मुझसे माफी मांगने को कहा गया है, लेकिन सुन लो मेरी बात कि मैं न झुका हूं, न झुकूंगा… ये बदलता भारत है।फिर दो-दो हिलाने वाली खबरें एक साथ आईं कि मंदिर तो हो गया अब समान नागरिक संहिता (यूसीसी) और नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) लाना है। एक अंग्रेजी एंकर आकुल दिखा कि इधर भाजपा अपना एजंडा लेकर आगे बढ़ रही है, उधर विपक्ष एकदम ‘अचंभित और भ्रमित है। एक मंत्री कह दिए कि ‘यूसीसी’ पूरे देश में लागू करेंगे।
फिर एक खबर आई कि अब तक अयोध्या में दर्शनार्थियों का तांता लगा है, पहले पांच दिन में इक्कीस लाख श्रद्धालु ‘रामलला’ के दर्शन कर चुके है। पांच करोड़ रुपयों का चढ़ावा आ चुका है। बहुत-सा चढ़ावा ‘आनलाइन’ आ रहा है। और फिर आया बजट सत्र! वित्तमंत्री ने अंतरिम बजट पेश किया, जिसमें लोकप्रियतावाद का तत्त्व न देख, विपक्ष बोला कि ये कैसा बजट, न रोजगार की बात न किसान की फिर भी संसद शांति से चलती रही। और फिर आई प्रधानमंत्री की दो बार ‘राम राम’! पहली ‘राम राम’ अभी के लिए, दूसरी ‘राम राम’ चौबीस के लिए अग्रिम में! आश्चर्य कि विपक्ष इस ‘राम राम’ से कतरा के निकल गया! चलते चलते: झारखंड में हेमंत सोरेन की ‘पत्नी’ की जगह नए मुख्यमंत्री के रूप में ‘चंपई सोरेन’ की शपथ! संविधान जिदाबाद!