आतंकी जिहादी संगठन ‘हमास’ की बर्बरता के एक वीडियो को एक चैनल पर देख एक विपक्षी प्रवक्ता कहने लगता है : आप ऐसे वीडियो न दिखाएं, इससे भावनाएं भड़क सकती हैं। यानी अब ‘बर्बरता’ को ‘बर्बरता’ की तरह न दिखाकर ‘सुंदर’ बनाकर दिखाना चाहिए!

हमास-इजराइल के युद्ध का चौदहवां दिन है। इजरायल जमीनी युद्ध की तैयारी में है। उसने गाजा को खाली करने को कहा है। इलाके का बिजली पानी बंद कर दिया है। एक चैनल का एंकर एक विपक्षी अल्पसंख्यक दल के प्रवक्ता से पूछता है कि क्या आप हमास को आतंकवादी संगठन मानते हैं, उसकी आलोचना करते हैं, तो जवाब में वे एक ‘आदर्श वाक्य’ कहते हैं कि ‘हिंसा का समर्थन कोई नहीं कर सकता’, फिर तुरंत जोड़ने लगते हैं कि हमास ने जो किया उसका जिम्मेदार इजराइल है।

उसने अब तक डेढ़ लाख फिलिस्तीनी मारे हैं। वह बिजली-पानी बंद कर रहा है। ये तो हिटलरशाही है, नाजीशाही है। इजराइल ‘जनसंहार’ का अपराधी है। हमास ने बिना किसी उकसावे के चौदह सौ निरीह इजराइली मारे हैं, लेकिन बहुतों के लिए हमास फिर भी जनसंहार का अपराधी नहीं। अपराधी सिर्फ इजराइल है।

कई चैनल के रिपोर्टर युद्ध के केंद्र गाजा के पास से रिपोर्टिंग करते दिखते हैं। राकेट दागने की आवाजें आती रहती हैं और कई रिपोर्टर युद्ध कवच पहन बमबारी से बने खंडहरों के दृश्य दिखाते रहते हैं। आती खबरें बताती है कि युद्ध और फैलने वाला है : सीरिया की फौजें कूच कर रही हैं। लेबनान के हिजबुल्ला के पीछे ईरान खड़ा है। हमास ने बम बरसाते हुए जवाब दिया कि हम युद्ध के लिए तैयार हैं।

इस बीच गाजा के एक अस्पताल पर बम गिर जाता है और बच्चों समेत पांच सौ स्त्री-पुरुष शिकार बनते हैं। इसे देख एक चैनल लिखता है कि अस्पताल पर बमबारी इस युद्ध का ‘टर्निंग पाइंट’ हो सकता है।चैनलों की बहसें यह तय करने में जुटी हैं कि बम इजराइल ने गिराया कि हमास न! हमास के पक्षधर कहते हैं कि ये इजराइल ने गिराया तो जवाब में चैनल एक वीडियो दिखाता हैै, जिसमें हमास का ही एक बम ‘मिसफायर’ होकर अस्पताल पर गिरता दिखाया जाता है।

इस तरह इसके लिए हमास ही जिम्मेदार है। फिर एक एंकर बताने लगता है ऐसी ही बातें ‘बीबीसी’ ,‘अल जजीरा’ और भारत के एक बड़े अंग्रेजी अखबार ने रिपोर्ट की हैं। एक विशेषज्ञ बताता है कि हमास पानी की पाइपें काटकर बम बनाता है। इनमें से पंद्रह से बीस फीसद बम अक्सर निशाने से इधर-उधर गिरते हैं।

यह भी इसी तरह का बम होगा! एक एंकर कहता है कि बम किसका था, इसकी जांच होनी चाहिए। लेकिन जिन दिनों कोई पक्ष दूसरे की नहीं मानता, उन दिनों किसकी जांच और कैसी जांच? एक युद्ध गाजा में जारी है तो दूसरा युद्ध हमारे चैनलों में आ धमकता है। वहां बम बरसते हैं, यहां आरोप-प्रत्यारोप बरसते हैं।

अस्पताल पर बम गिरते ही प्रधानमंत्री इसे दुखद बताते हैं और फिलिस्तीन के साथ हमदर्दी जताते हैं, लेकिन विपक्षी बार-बार यही कहते रहते हैं कि भारत ने हमास के हमले की तो निंदा की, लेकिन इजराइल की नहीं की! क्यों?एक विपक्षी कहने लगते हैं कि इससे खाड़ी देशों के साथ भारत के संबंध प्रभावित होंगे। यानी सारी आपत्ति यह कि भारत इजराइल के साथ क्यों? जवाब में सत्ता पक्षी प्रवक्ता बार-बार साफ करते हैं कि प्रधानमंत्री का ‘स्टैंड’ एकदम संतुलित है। उन्होंने फिलिस्तीन के प्रमुख से भी बात की है और क्या चाहिए?

इस युद्ध ने सब दुनिया को दोफाड़ कर दिया है। एक ओर इस्लामी देश है, दूसरी ओर अमेरिका और पश्चिमी देश। एक चैनल तो लाइन लिखकर पूछता दिखता है कि क्या यह धर्मयुद्ध् है? क्या यह यहूदी बरक्स इस्लाम है? ऐसे किसी सवाल को कभी पूरा जवाब नहीं मिलता, लेकिन ऐसी लाइनें लोदिमाग में अटकी रह जाती हैं। इसे ही ‘कहानी’ की ‘थीमिंग’ कहते हैं।

फिर भी हर चैनल पर दो-तीन निष्कर्ष निकलते नजर आते हैं : पहला कि हमास दोषी है तो इजराइल भी दोषी है। दूसरा कि अब युद्ध खत्म होना चाहिए और तीसरा कि खत्म हो तो कैसे हो? एक भागीदार बार-बार कह चुका है, जब तक ‘हमास’ हमास है तब तक कोई समझौता नहीं हो सकता, क्योंकि हमास की तो घोषणा ही कहती है कि जब तक इजराइल को नेस्तनाबूद नहीं कर दिया जाता, तब तक ‘डे आफ जजमेंट’ नहीं आ सकता।

स्थिति की गंभीरता देखकर अमेरिकी विदेश सचिव चार दिन में दो बार इजराइल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू से मिलते हैं। फिर एक दिन अमेरिकी राष्ट्रपति भी नेतन्याहू को यह कहकर अभयदान देते हैं कि अस्पताल पर बम किसी दूसरे ने डाला है। अगले ही दिन यूके के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक नेतन्याहू से मिले और अन्य कई यूरोपीय नेता लाइन में हैं। इसे इजराइल के खिलाफ इस्लामी देशों की बढ़ती एकजुटता के बरक्स भी ‘पढ़ा’ जा सकता है।

इसी बीच ‘सवाल के बदले कैश’ लेने के लिए आरोपित सांसद की कहानी की ‘दूसरी किश्त’ ने और भी मजेदार बना दिया। जिस उद्योगपति के हित में आरोपित सांसद द्वारा सवाल पूछे जाते थे, अब वही उद्योगपति ‘वादा माफ गवाह’ बनकर और पत्र लिखकर बताने लगा कि किस तरह सवालों के बदले आरोपित सांसद द्वारा एक से एक महंगे तोहफे, नगद, मुफ्त पर्यटन की मांग की जाती थी।

जवाब में आरोपित सांसद का यही कहना रहा कि ये फंसाने की साजिश है।फिर एक खबर धमकी-सी भी दे गई है कि ‘सवाल के बदले माल’ के लिए आठ अन्यों पर भी नजर रखी जा रही है। इस पर एक विपक्षी ने कहा कि ऐसा करो, सब विपक्षियों को एक साथ अंदर कर दो, यानी बकरा किस्तों में क्यों काटते हैं?