लोकसभा ने सोमवार को नागरिकता संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी जिसमें अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण भारत आए हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने का पात्र बनाने का प्रावधान है। संसद से लेकर सड़कों तक इस बिल का जमकर विरोध हो रहा है। संसद में असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी और तेलंगाना राष्ट्र समिति ने विरोध। इसी कड़ी में भाजपा नेता लाल कृष्ण आडवाणी के करीबी माने जाने वाले सुधींद्र कुलकर्णी ने भी इस बिल को लेकर गृह मंत्री अमित शाह पर हमला बोला है।
कुलकर्णी ने ट्वीट कर लिखा कि शाह काले कानून के लिए संसद में सफेद झूठ बोल रहे है। दरअसल निचले सदन में विधेयक पर जवाब देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि मैं सदन के माध्यम से पूरे देश को आश्वस्त करना चाहता हूं कि यह विधेयक कहीं से भी असंवैधानिक नहीं है और संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन नहीं करता। अगर इस देश का विभाजन धर्म के आधार पर नहीं होता तो मुझे विधेयक लाने की जरूरत ही नहीं पड़ती।’’ उन्होंने कहा कि नेहरू-लियाकत समझौता काल्पनिक था और विफल हो गया और इसलिये विधेयक लाना पड़ा।
In the history of Parliament, rarely have we heard a senior minister speak such a WHITE LIE to defend a black law!
Congress did NOT do, nor accept, Partition on the basis of religion. Muslim League did.@INCIndia remained committed to India as a secular nation. BJP has not. https://t.co/JGppF6o6ze
— Sudheendra Kulkarni (@SudheenKulkarni) December 9, 2019
शाह के इस बयान पर हमला बोलते हुए कुलकर्णी ने ट्वीट कर लिखा “संसद के इतिहास में, शायद ही हमने कभी किसी वरिष्ठ मंत्री को काले कानून का बचाव करने के लिए इस तरह से सफेद झूठ बोलते सुना है! कांग्रेस ने धर्म के आधार पर विभाजन नहीं किया, न ही स्वीकार किया था। ये मुस्लिम लीग ने किया था। कांग्रेस हमेशा एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र के रूप में भारत के लिए प्रतिबद्ध रही, बीजेपी नहीं।”
बता दें एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने विधेयक का विरोध करते हुए इस विधेयक की प्रति फाड़ दी । विधेयक पर चर्चा में भाग लेते हुए ओवैसी ने आरोप लगाया कि यह सरकार मुसलमानों के ‘राष्ट्रविहीन’ बनाने की साजिश कर रही है। उन्होंने यह दावा भी किया कि यह विधेयक एक बार फिर से देश के बंटवारे का रास्ता तैयार करेगा। ओवैसी यह आरोप लगाया कि यह विधेयक संविधान की मूल भावना के खिलाफ है।
उन्होंने यह भी कहा कि महात्मा गांधी ने नागरिकता कार्ड को फाड़ा था और मैं आज इस विधेयक को फाड़ता हूं। इसके बाद उन्होंने विधेयक की प्रति फाड़ दी। इस पर कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि ओवैसी वरिष्ठ सदस्य हैं और उन्होंने जो किया है वो सदन का अपमान है। भाजपा सदस्य पीपी चौधरी ने कहा कि ओवैसी ने संसद का अपमान किया है। वहीं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) की सुप्रिया सुले ने कहा कि वह सरकार की मंशा पर सवाल नहीं उठा रहीं, लेकिन धारणाओं को लेकर प्रश्नचिह्न खड़ा होता है।
उन्होंने कहा कि मुस्लिमों में असुरक्षा का माहौल बन रहा है। क्या एनआरसी विफल हो गया है, इसलिए सरकार विधेयक लाई है? सरकार को देश के दूसरे सबसे बड़े समुदाय की चिंताओं पर ध्यान देना चाहिए। वहीं बसपा के अफजाल अंसारी ने कहा कि यह संशोधन विधेयक संविधान की मूल भावना के विपरीत है इसलिए उनकी पार्टी इसका विरोध कर रही है।