देश की जनता को अपने जीवन, संपत्ति की रक्षा करने और सम्मानजनक जीवन जीने के कई अधिकार हैं। भारतीय संविधान के विभिन्न प्रावधानों और उसके बाद के कानूनों में कुछ अधिकार प्रदान किए गए हैं। हम आपको उन कुछ कानूनी अधिकारी के बारे में बताने जा रहे हैं, जो आपके के लिए काफी फायदेमंद हैं। इन कानूनी अधिकारों को जानने के बाद बेवजह के शोषण से आप बच सकते हैं। साथ ही इन कानूनों के प्रति अन्य लोगों को जागरूक करके आप कई लोगों की मदद भी कर सकते हैं।
मोटर वाहन अधिनियम 1988, धारा-185, 202 : वाहन चलाते समय यदि आपके 100 मिली रक्त में 30 मिलीग्राम से अधिक शराब पाई जाती है, तो पुलिस आपको बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकती है। दंड प्रक्रिया संहिता, धारा 46 : किसी भी महिला को सुबह 6 बजे से पहले और शाम 6 बजे के बाद गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है।
भारतीय दंड संहिता, 166 ए : एक पुलिस अधिकारी एफआइआर दर्ज करने से इनकार नहीं कर सकता, यदि वह ऐसा करता है, तो उसे 6 महीने से 1 साल तक की जेल हो सकती है।
पुलिस अधिनियम, 1861 : एक पुलिस अधिकारी हमेशा ड्यूटी पर रहता है, चाहे उसने वर्दी पहनी हो या नहीं। यदि कोई व्यक्ति अधिकारी से शिकायत करता है, तो वह यह नहीं कह सकता कि वह पीड़ित की मदद नहीं कर सकता, क्योंकि वह ड्यूटी पर नहीं है।
मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 : कोई भी कंपनी गर्भवती महिला को नौकरी से नहीं निकाल सकती। इसमें अधिकतम 3 साल की कैद की सजा हो सकती है।
आयकर अधिनियम, 1961 : कर उल्लंघन के मामले में कर संग्रह अधिकारी के पास आपको गिरफ्तार करने की शक्ति है, लेकिन आपको गिरफ्तार करने से पहले उसे आपको एक नोटिस भेजना होगा। कर आयुक्त ही तय करता है कि आप कितने समय तक हिरासत में रहेंगे।
भारतीय सराय अधिनियम, 1887 : कोई भी पांच सितारा होटल भी आपको पीने का पानी देने और अपने शौचालय का उपयोग करने से नहीं रोक सकता है।
दिल्ली किराया नियंत्रण अधिनियम, 1958, धारा 14 : यदि आप दिल्ली में रह रहे हैं, तो आपके मकान मालिक को आपको पूर्व सूचना दिए बिना आपका घर जबरदस्ती खाली कराने का अधिकार नहीं है।
सर्वाधिक खुदरा मूल्य अधिनियम, 2014 : इसके तहत कोई भी दुकानदार किसी वस्तु के लिए उस पर अंकित अधिकतम खुदरा मूल्य से अधिक रुपए नही मांग सकता है लेकिन ग्राहक अधिकतम खुदरा मूल्य से कम पर वस्तु खरीदने के लिए दुकानदार से भाव तौल कर सकता है।