जलवायु परिवर्तन की समस्या पर कुछ हद तक अंकुश लगाने के उद्देश्य से देश में इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) के उपयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके तहत केंद्र सरकार की ओर से इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की खरीद पर खरीदार को आर्थिक सहायता दी जाती रही है। संसद की एक समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि एक जून, 2023 से इस सबसिडी में कटौती कर दी गई है और इसका प्रतिकूल असर इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की खरीदारी पर पड़ा है। समिति ने इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों पर सबसिडी को तुरंत बहाल करने की सिफारिश की है।

राज्यसभा के सदस्य तिरुची शिवा की अध्यक्षता वाली संसदीय स्थायी समिति ने भारी उद्योग मंत्रालय से संबंधित ‘देश में इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा दिए जाने’ संबंधी अपनी 342वें रपट को संसद में प्रस्तुत किया। समिति ने इस विषय पर दिल्ली में दो बैठकें और दिल्ली से बाहर तीन बैठकें आयोजित कीं और भारी उद्योग मंत्रालय, विद्युत मंत्रालय, सड़क, परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय, पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्रालय, पर्यावरण, वन व जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, नवीन व नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय, वित्त मंत्रालय (राजस्व विभाग) और नीति आयोग के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत की।

इसके अलावा समिति ने इलेक्ट्रिक वीकल विनिर्माता सोसायटी (एसएमईवी), विभिन्न अग्रणी ईवी विनिर्माताओं और हितधारकों के साथ चर्चा भी की और उनके द्वारा दिए गए कुछ सार्थक विचारों – सुझावों को रपट में शामिल किया है। समिति ने इस रपट को पिछले सप्ताह ही स्वीकार किया। समिति ने कहा कि ई-दुपहिया वाहनों के मामले में एक जून, 2023 से सबसिडी में कटौती से उनकी बिक्री पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।

समिति यह भी नोट करती है कि फेम (हाइब्रिड, इलेक्ट्रिक वाहनों को तेजी से अपनाना और विनिर्माण करना) द्वितीय योजना के तहत धन के पुन: आबंटन और लक्ष्यों के संशोधन के पीछे बजट की कमी प्रमुख कारण था। चूंकि परिवहन क्षेत्र को ‘डीकार्बोनाइज’ करने की तत्काल आवश्यकता है, समिति की सिफारिश है कि मंत्रालय को ई-दुपहिया वाहनों पर सबसिडी बहाल करनी चाहिए और यदि आवश्यक हो, तो इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या की गति को बनाए रखने के लिए बजट आबंटन में वृद्धि की जानी चाहिए।