सहारा ग्रुप के प्रमुख सुब्रत रॉय ने तिहाड़ जेल प्रसाशन को 1.23 करोड़ रुपए चुकाए है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सुब्रत रॉय ने सालभर तक तिहाड़ से ही मिनी ऑफिस चलाया। जेल में उन्‍हें एसी रूम, वाई-फाई, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, लैपटॉप, डेस्कटॉप और स्टेनोग्राफर जैसी फैसिलिटी मिलीं। इन्‍हीं सब सुविधाओं के लिए उन्‍होंने यह रकम चुकाई है।

आपको बता दें कि सुब्रत रॉय ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी थी कि इन्वेस्टर्स का पैसा लौटाने के लिए उन्हें अपनी प्रॉपर्टी बेचनी है। इसके लिए उन्हें अपने ग्रुप के अधिकारियों और क्लाइंट्स से बातचीत करने की जरूरत है। इसके बाद अदालत ने तिहाड़ जेल प्रशासन से उन्‍हें एक अलग जगह मुहैया कराने के लिए कहा था। सुब्रत रॉय को जो स्‍पेशल सर्विस मिल रही थीं, वह 12 नवंबर को खत्म कर दी गईं।

रिपोर्ट के मुताबिक, सहारा प्रमुख पहली बार अगस्त में 10 दिनों के लिए स्पेशल यूनिट में शिफ्ट हुए थे। उन्‍होंने न्यूयॉर्क और लंदन के दो बड़े होटलों को बेचने के लिए इसी रूम में बैठकर डील की थी। इन 10 दिनों में कोर्ट ने उन्हें वाई-फाई और वीडियो कॉन्फ्रेंस जैसे सुविधाओं के इस्तेमाल की इजाजत दी थी। इसके अलावा वह अपने दोनों बेटों और कंपनी के निदेशकों से मुलाकात करते रहे।

सुब्रत रॉय 14 मार्च 2014 से जेल में हैं। उन पर इन्वेस्टर्स के 24 हसहारा ग्रुप के प्रमुख सुब्रत रॉय 14 मार्च 2014 से जेल में हैं। उन पर इन्वेस्टर्स के 24 हजार करोड़ रुपए नहीं लौटाने का आरोप है। जार करोड़ रुपए नहीं लौटाने का आरोप है। 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने पहली बार सहारा ग्रुप को इन्वेस्टर्स के पैसे लौटाने को कहा था, लेकिन सेबी और सुप्रीम कोर्ट के कहने के बावजूद सहारा ग्रुप ने ऐसा नहीं किया।

सुप्रीम कोर्ट ने जब रॉय को अदालत में पेश होने को कहा तो वे आनाकानी करते रहे। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती बरतते हुए पुलिस को निर्देश दिया कि वे सुब्रत रॉय को कोर्ट में पेश करें। इसके बाद लखनऊ पुलिस सुब्रत रॉय को लेकर दिल्ली पहुंची और कोर्ट में पेश किया। पेशी के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सुब्रत रॉय से कहा था कि वे 10 हजार करोड़ रुपए देकर जमानत ले लें। इसमें 5 हजार करोड़ रुपए उन्हें कैश देना था और बाकी की बैंक गारंटी रखनी थी, लेकिन उन्‍होंने कोर्ट की शर्तों को पूरा नहीं किया, जिसके बाद से उन्‍हें जमानत नहीं मिली है।