भाजपा सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी ने रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन पर हमला तेज कर दिया है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह किया है कि वह रघुराम राजन को फौरन बर्खास्त करें क्योंकि वह दिलोदिमाग से पूरी तरह भारतीय नहीं हैं। स्वामी का आरोप है कि राजन ने जान-बूझकर भारतीय अर्थव्यवस्था को ध्वस्त किया है। इस बीच कांग्रेस के जयराम रमेश ने राजन पर किए जा रहे हमले पर कड़ी प्रतिक्रिया जताई है। उन्होंने कहा कि स्वामी अपने असली लक्ष्य वित्त मंत्री अरुण जेटली पर सीधे निशाना क्यों नहीं साधते, बजाय इसके वह रघुराम राजन को निशाना बना रहे हैं जो बोल नहीं सकते।
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भाजपा के आर्थिक मामलों के प्रवक्ता गोपालकृष्ण अग्रवाल ने कहा कि स्वामी पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं। उनके विचार निश्चित तौर पर मायने रखते हैं। लेकिन इस मामले में कोई भी अंतिम फैसला सरकार का ही होगा। पिछले हफ्ते संसद सत्र खत्म होने के बाद राजन के खिलाफ आरोप लगाने के बाद स्वामी ने सोमवार (16 मई) को प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने राजन को फौरन बर्खास्त करने की मांग की है। पत्र में लिखा है कि यूपीए सरकार का नियुक्त कोई व्यक्ति कैसे पद पर बना रह सकता है। उन्होंने कहा- मैं ऐसा सुझाव इसलिए दे रहा हूं क्योंकि मैं राजन के जान-बूझकर अर्थव्यवस्था को ध्वस्त करने की कोशिश से स्तब्ध हूं। महंगाई काबू करने के लिए ब्याज दर बढ़ाने की उनकी अवधारणा विनाशकारी थी। साथ ही पिछले दो साल में बैंकों का एनपीए (वसूली न किया जा सकने वाला कर्ज) दोगुना होकर 3.5 लाख करोड़ रुपए हो गया। पूर्ववर्ती यूपीए सरकार ने सितंबर 2013 में राजन को तीन साल के लिए रिजर्व बैंक का गवर्नर बनाया था।
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उन्होंने लिखा कि राजन की विभिन्न पहलों को देखते हुए मुझे लगता है कि वह भारतीय अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने के बजाय बिगाड़ने वाले व्यक्ति ज्यादा नजर आते हैं। वह इस देश में अमेरिकी सरकार के ग्रीन कार्ड पर हैं इसलिए वह दिमागी तौर पर पूरी तरह भारतीय नहीं हैं। वह हर साल अमेरिका की यात्रा कर रिजर्व बैंक गवर्नर के तौर पर अपने ग्रीन कार्ड का नवीनीकरण कराते हैं ताकि उनका ग्रीन कार्ड बना रहे।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सोमवार (16 मई) को एक कार्यक्रम में इन अटकलों पर कुछ भी कहने से इनकार किया कि राजन का कार्यकाल बढ़ाया जाएगा या नहीं। जेटली ने कहा- जहां तक वित्त मंत्रालय और रिजर्व बैंक की बात है, दोनों के बीच संस्थागत रिश्ता है। दोनों संस्थाओं में शीर्ष स्तर पर विचार-विमर्श होता है और एक-दूसरे के विचारों पर मंथन किया जाता है। स्वामी ने पिछले हफ्ते कहा था- राजन देश के लिए उपयुक्त नहीं हैं। उन्होंने महंगाई को काबू करने की आड़ में ब्याज दरें बढ़ा दीं जिस कारण उद्योग धराशाई हो गए और अर्थव्यवस्था में बेरोजगारी बढ़ी। उन्होंने संसद में पत्रकारों से कहा था कि जितनी जल्दी राजन को शिकागो वापस भेजा जाए, उतना अच्छा होगा। राजन शिकागो के बूथ स्कूल आॅफ बिजनेस में वित्त विभाग के प्रोफेसर हैं, जो छुट्टी पर चल रहे हैं। राजन का सितंबर की शुरुआत में तीन साल का कार्यकाल खत्म होना है।
राजन ने सितंबर 2013 में पदभार ग्रहण करने के बाद से अल्पकालिक कर्ज दर (रेपो) को धीरे-धीरे बढ़ाकर 7.25 से आठ फीसद पर पहुंचा दिया। 2014 में यह उच्च स्तर पर कायम रही। उन्होंने वित्त व उद्योग मंत्रालय की ब्याज दरें कम करने की लगातार की जा रही मांग को दरकिनार करते हुए नीतिगत दरों को ऊंचा बनाए रखा। इसके लिए मुद्रास्फीति चिंताओं का हवाला दिया। उन्होंने जनवरी 2015 में मुख्य नीतिगत दर घटाने की प्रक्रिया शुरू की। उसके बाद से यह 1.50 फीसद घटकर 6.50 फीसद पर आ गई।
स्वामी ने पत्र में कहा- मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि यूपीए सरकार का नियुक्त व्यक्ति जो लगातार भारतीय आर्थिक हितों के खिलाफ काम कर रहा हो, उसे इस पद पर क्यों बनाए रखना चाहिए जबकि हमारे पास इस देश में बहुत से राष्ट्रवादी मानसिकता वाले विशेषज्ञ उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा कि राजन की महंगाई काबू करने के लिए ब्याज दर बढ़ाने की नीति विनाशकारी है। उन्होंने कहा कि थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति में गिरावट छोटे व मंझोले उद्योगों में छाई जबरदस्त मंदी की वजह से आई। इसके बाद राजन ने अपने लक्ष्य को उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर केंद्रित कर दिया जिसमें खुदरा मूल्यों में कमी नहीं आने की वजह से गिरावट नहीं आई।