सुब्रमण्यम स्वामी को भाजपा ने दो महीने पहले ही राज्य सभा का सांसद मनोनीत किया था। उस समय उनके आलोचकों ने कहा था कि उनके निशाने पर वित्त मंत्री अरुण जेटली होंगे। हाल फिलहाल जो राजनीतिक घटनाक्रम चल रहा है उसने स्वामी के आलोचकों के दावों को सही साबित कर दिया। सूत्रों का कहना है कि स्वामी के तीखे और अपमानजनक टवीट्स के चलते पार्टी के आला नेताओं ने उनसे दूरी बना ली है। साथ ही उनके बयानों पर आरएसएस में भी चर्चा की जा रही है।
स्वामी के बयानों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टाइम्स नाऊ को दिए इंटरव्यू में कड़ी टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था, ”व्यवस्था से ऊपर किसी को होने का हक नहीं है।” स्वामी के हमलों को शांत करने के प्रयास भी बेनतीजा रहे। इसके चलते अगर भविष्य में भी स्वामी के हमलावर ट्वीट जारी रहते हैं तो भाजपा नेतृत्व उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई कर सकता है। भाजपा स्वामी से पहले ही खुद को दूर कर चुकी है।
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मोदी सरकार के कैबिनेट फेरबदल में स्वामी को मंत्री पद मिलने की उम्मीद थी। लेकिन उनके हालिया बयानों के चलते ऐसा होना अब दूर की कौड़ी है। आरएसएस ने भी स्वामी को भाजपा के वरिष्ठ नेताओं से असंतोष को सार्वजनिक न करने के लिए दो बार मध्यस्थों को भेजा था। उन्होंने स्वामी से संयम रखने को कहा था लेकिन ऐसा लगता है कि इसका कोई असर नहीं हुआ। स्वामी के बारे में पूछे जाने पर आरएसएस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि स्वामी और उनकी गतिविधियों को आरएसएस से नहीं जोड़ा जा सकता। उन्होंने कहा, ”वे कभी आरएसएस में पद पर नहीं रहे। साथ ही वे हमारी सामाजिक गतिविधियों में भी शामिल नहीं रहे। जो कुछ भी हो रहा है, वह उनके और भाजपा के बीच है।”
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उधर, गुरुवार को भी स्वामी ने ट्वीट्स के जरिए वित्त मंत्रालय, कांग्रेस, रॉबर्ट वाड्रा, प्रियंका वाड्रा और पी चिदम्बरम पर निशाना साधा। उन्होंने मोदी का इंटरव्यू लेने वाले एंकर पर भी हमला बोला और कहा, ”मैं अरनब को ईदी अमीन(उगांडा का तानाशाह शासक) का मीडिया एडवाइजर बनाने की सिफारिश करूंगा।” भाजपा खेमे में हालत यह है कि किसी को पता नहीं स्वामी का अगला ट्वीट या बयान क्या होगा। एक नेता ने बताया, ”आला नेता असुरक्षित महसूस कर रहे हैं और ऐसी स्थिति लंबे समय तक सहन नहीं की जा सकती।” राम जेठमलानी का उदाहरण देते हुए एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ”पार्टी में आम सहमति है कि पार्टी एक नेता की सनक के आगे लाचार नहीं रह सकती।”
स्वामी के पीएम मोदी की चेतावनी को भी नजरअंदाज किए जाने पर एक भाजपा नेता ने बताया, ”स्वामी का मानना है कि पीएम मोदी के बाद वे संघ परिवार के ससबे चहेते नेता हैं। इससे वे अति आत्म विश्वास में हैं। उन्हें वास्तव में लगता है कि वे भारत की आर्थिक समस्याओं को दूर कर सकते हैं और उन्हें मंत्री बनाया जाया जाना चाहिए।”
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