भारत में वर्ष 2050 तक पुरुषों की जीवन प्रत्याशा औसतन 75 वर्ष और महिलाओं की करीब 80 वर्ष होने की संभावना है। जीवन प्रत्याशा का अर्थ किसी व्यक्ति का औसत जीवनकाल होता है। विश्वभर में पुरुषों की जीवन प्रत्याशा में करीब पांच वर्ष और महिलाओं की जीवन प्रत्याशा में चार वर्ष से अधिक का सुधार होने का अनुमान है। ‘द लैंसेट’ पत्रिका में प्रकाशित एक वैश्विक अध्ययन में यह दावा किया गया है।
इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने कहा है कि उन देशों में सुधार सबसे अधिक होने की उम्मीद है, जहां जीवन प्रत्याशा कम है। इससे सभी भौगोलिक क्षेत्रों में जीवन प्रत्याशा में समग्र वृद्धि देखने को मिलेगी। शोधकर्ताओं के मुताबिक, हृदय रोगों, कोविड-19, जच्चा-बच्चा व पोषण संबंधी बीमारियों और अन्य संक्रामक रोगों से बचाव को लेकर सार्वजनिक स्वास्थ्य उपाय लोगों के जीवित रहने की दर में सुधार करने वाले कारक हैं। इनसे बड़े पैमाने पर विश्व स्तर पर जीवन प्रत्याशा में वृद्धि दिखने को मिलेगी।
शोधकर्ताओं ने कहा कि दुनियाभर में स्वस्थ जीवन प्रत्याशा आने वाले वर्षों में 2.6 साल बढ़ जाएगी। उन्होंने कहा कि वर्ष 2022 में जीवन प्रत्याशा का आंकड़ा जहां 64.8 वर्ष था, वहीं 2050 में यह बढ़कर 67.4 वर्ष हो जाएगा। अध्ययन में अनुमान लगाया गया है कि भारत में 2050 तक पुरुषों की जीवन प्रत्याशा औसतन 75 वर्ष से अधिक और महिलाओं के लिए यह लगभग 80 वर्ष हो सकती है। हालांकि, भारत में पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए ‘स्वस्थ जीवन प्रत्याशा’ 65 वर्ष से अधिक होने का अनुमान लगाया गया है।
इस अध्ययन में शामिल अमेरिका के वाशिंगटन विश्वविद्यालय के इंस्टिट्यूट फार हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन के निदेशक क्रिस मुरे ने कहा, ‘हमने पाया है कि समग्र रूप से जीवन प्रत्याशा में वृद्धि के साथ ही विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में जीवन प्रत्याशा में असमानता कम हो जाएगी।’ यह एक संकेतक है कि उच्चतम और निम्नतम आय वाले क्षेत्रों के बीच स्वास्थ्य असमानताएं बनी रहेंगी, लेकिन अंतर कम हो रहा है। उप-सहारा अफ्रीका क्षेत्र में जीवन प्रत्याशा को लेकर अधिक सुधार होने की उम्मीद है।
