भारत की संस्कृति और भाषाओं को लेकर दुनियाभर में लोगों की काफी दिलचस्पी देखी जाती रही है। खासकर देश के वसुधैव कुटुम्बकम के संदेश ने हमेशा ही दुनिया को भारत की ओर आकर्षित किया है। इसी के चलते हर साल बड़ी संख्या में लोग इन सांस्कृति विरासत को देखने और समझने के लिए भारत आते रहते हैं। इस बीच एक नई बात यह है कि अब इस्लामिक देशों के छात्रों में भी भारतीय परंपरा को लेकर दिलचस्पी बढ़ रही है। इसी कड़ी में पहली बार बांग्लादेश, ईरान और अफगानिस्तान से तीन छात्रों ने गुजरात स्थित संस्कृत विश्वविद्यालय में एडमिशन लिया है।
गुजरात के वेरावल स्थित श्री सोमनाथ संस्कृत विश्वविद्यालय को विदेशी छात्रों के आवेदन मिलने पर यहां पोस्ट ग्रैजुएट प्रोग्राम के हेड ललित पटेल ने खुशी जताई है। उन्होंने कहा कि यह पहली बार है जब विदेश के छात्रों ने यूनिवर्सिटी से पढ़ाई के लिए आवेदन किया है। यह गर्व की बात है। बताया गया है कि यूनिवर्सिटी में कुल 9 छात्रों के आवेदन आए थे, लेकिन बाकी लोगों के एप्लीकेशन को स्वीकार नहीं किया जा सका, क्योंकि वे जो कोर्स चाहते थे, विश्वविद्यालय उन्हें नहीं पढ़ाता।
किन छात्रों ने लिया एडमिशन?: बताया गया है कि ईरान के फरशाद सालेहजही ने संस्कृत भाषा से पढ़ाई के लिए बीए में एडमिशन लिया। इसके अलावा बांग्लादेश के राथिंद्रो सरकार ने संस्कृत से डॉक्ट्रेट करने के लिए दाखिला लिया है। इसके अलावा अफगानिस्तान के एक छात्र को भी यूनिवर्सिटी में एडमिशन मिला है। बता दें कि यह यूनिवर्सिटी इंडियन काउंसिल फॉर कल्चरल रिलेशन (ICCR) के अंतर्गत काम करती है।
नरेंद्र मोदी से है यूनिवर्सिटी का खास रिश्ता?: गौरतलब है कि श्री सोमनाथ संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना 2005 में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी। खुद पीएम भी कई मौकों पर विदेश जाकर संस्कृत का प्रचार कर चुके हैं। केंद्र की भाजपा सरकार भी संस्कृत के प्रचार के लिए बीते काफी समय से कोशिश में जुटी है। इसी सिलसिले में हाल ही में केवड़िया में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के पास एक जूलॉजिकल पार्क में सभी पेड़ों के नाम और साइनबोर्ड्स को संस्कृत में प्रदर्शित किया गया।