वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) को धान की पराली जलाने के प्रबंधन के लिए हरियाणा द्वारा सौंपी गई कार्य योजना से राज्य का दावा है कि वह आग लगने की घटनाओं में काफी हद तक कमी लाएगा और इस वर्ष इनके उन्मूलन का प्रयास करेगा। गौरतलब है कि अक्तूबर के अंत और नवंबर में सर्दियों की शुरुआत के साथ हरियाणा में बड़े पैमाने पर शुरू होने वाली पराली जलाने की घटनाओं की वजह से राजधानी और उसके आसपास के इलाकों में बढ़ते वायु प्रदूषण के मद्देनजर प्रदेश ने यह कवायद की है।
खेतों में आग लगने की 500 से अधिक घटनाओं वाले तीन जिलों में कैथल, जींद और फतेहाबाद को चिन्हित किया गया है। जबकि सिरसा, कुरूक्षेत्र, करनाल, अंबाला, यमुनानगर और हिसार अन्य चिंताजनक जिले बने हुए हैं। पिछली समीक्षा बैठक में सीएक्यूएम ने प्रदेश सरकार को चिन्हित जिलों पर विशेष ध्यान देने, जिला योजनाओं और राज्य कार्य योजना के प्रभावी, सख्त कार्यान्वयन के अलावा कड़ी निगरानी रखने का निर्देश दिया था।
आयोग ने जांची तैयारियां : आयोग ने अक्टूबर-नवंबर महीने में हरियाणा में की जाने वाली धान की कटाई के संबंध में पराली जलाने की घटनाओं में कमी के मद्देनजर प्रदेश सरकार की तैयारियों को भी जांचा परखा है। इसमें हरियाणा के कृषि, पर्यावरण विभाग, हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने तमाम जरूरी आवश्यक कार्यवाही और उपाय करने का आश्वासन आयोग को दिया है। जिसमें कहा गया है कि स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सभी तैयारियां कर ली गई हैं। राज्य कार्य योजना लागू होने से आयोग को उम्मीद है कि हरियाणा में इस वर्ष धान की पराली जलाने की घटनाओं में भारी गिरावट आएगी।
जारी किए वैधानिक निर्देश : इस वर्ष वायु गुणवत्ता आयोग ने हरियाणा से राज्य कार्ययोजना के साथ जिलेवार कार्य योजना भी मांगी है। इसके अलावा इस कार्य योजना के सख्ती से अनुपालन के लिए वैधानिक निर्देश भी जारी किए हैं। राज्य कार्य योजना के हिसाब से धान का कुल क्षेत्रफल 14.82 लाख हेक्टेयर होने का अनुमान है और गैर बासमती धान की भूसी का उत्पादन 7.3 मिलियन टन से अधिक होने की उम्मीद है। वर्तमान धान कटाई सीजन के लिए कार्य योजना को अंतिम रूप देने, राज्य-जिला कार्य योजनाओं की तैयारियों और कार्यान्वयन की समीक्षा करने के उद्देश्य से आयोग पहले ही चार बैठकें आयोजित कर चुका है।
आयोग ने हरियाणा के शहरों को लाल, पीला और हरा जैसे तीन जोन में बांटा है। इसमें लाल में गांवों की संख्या 147, पीले में 582 और हरे में छह हजार 175 है। लाल जोन में अधिकांश गांव फतेहाबाद के हैं और उनकी संख्या 49 है। इसके अतिरिक्त कैथल के 36, जींद के 24, सिरसा के 11 और करनाल के 10 गांव इसमें शामिल हैं।