उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव होने में अब कुछ ही महीने बचे हैं। इस बार के विधानसभा चुनाव में सभी बड़ी पार्टियां छोटे दलों को साधने में जुटी हुई है। बीते दिनों समाजवादी पार्टी ने भी ओम प्रकाश राजभर के नेतृत्व वाली भारतीय सुहेलदेव समाज पार्टी के साथ हाथ मिलाया। हालांकि दोनों दलों के बीच हुए सीटों के बंटवारे को लेकर कोई औपचारिक ऐलान नहीं हुआ है। इस बार के विधानसभा चुनाव में अपनी मजबूत मौजूदगी दर्ज कराने की कोशिशों में जुटे ओम प्रकाश राजभर कभी बसपा सुप्रीमो मायावती के नजदीकी हुआ करते थे। लेकिन एक फैसले की वजह से उनका मायावती से मोहभंग हो गया था।

ओम प्रकाश राजभर ने बसपा के संस्थापक कांशीराम के साथ राजनीति की शुरुआत की थी। लेकिन 2001 में मायावती के एक फैसले की वजह से उन्होंने बसपा और मायावती का साथ छोड़ दिया। दरअसल भदोही जिला का नाम संत कबीर नगर रखे जाने की वजह से ओम प्रकाश राजभर मायावती से नाराज हो गए थे। ओम प्रकाश राजभर का मानना था कि जिले का नाम संत कबीर नगर रखे जाने की वजह राजभर समुदाय की राजनीतिक ताकत कमजोर हो जाएगी। जिसकी वजह से उन्होंने बसपा का साथ छोड़ दिया और अपनी पार्टी बनाई।

भारतीय सुहेलदेव समाज पार्टी बनाने के बाद उन्होंने कई चुनाव लड़ा। इतना ही नहीं उन्होंने साल 2004 के लोकसभा चुनावों में उत्तरप्रदेश के साथ ही बिहार में भी अपने उम्मीदवार खड़े किए। लेकिन उन्हें कोई ख़ास फायदा नहीं हुआ और उन्हें एक भी सीट पर जीत हासिल नहीं हुई। साथ ही उन्होंने 2007 के उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने अपने पार्टी की तरफ से कई प्रत्याशी उतारे और इस बार भी उन्हें किसी सीट पर जीत हासिल नहीं हुई।

ओम प्रकाश राजभर को अपनी पार्टी बनाने के बाद पहला सियासी फायदा 2017 में हुआ जब उन्होंने उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा से गठबंधन किया। 2017 के चुनाव में ओम प्रकाश राजभर की पार्टी सुभासपा ने करीब 8 सीटों पर चुनाव लड़ा जिसमें से उन्हें चार सीटों पर जीत हासिल हुई। ओम प्रकाश राजभर को उत्तरप्रदेश के योगी आदित्यनाथ की कैबिनेट में उन्हें पिछड़ा कल्याण वर्ग का जिम्मा भी दिया गया।

हालांकि भाजपा और सुभासपा की यह दोस्ती थोड़े दिन ही चली। सरकार बनने के कुछ ही महीनों बाद ओम प्रकाश राजभर ने उत्तरप्रदेश सरकार और भाजपा पर हमला बोलना शुरू कर दिया। लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद उन्हें योगी कैबिनेट से बर्खास्त कर दिया गया और ओम प्रकाश राजभर ने भाजपा के साथ अपना गठबंधन तोड़ दिया।

ओम प्रकाश राजभर की पार्टी सुभासपा की पकड़ राजभर समुदायों के बीच काफी मजबूत है। प्रदेश के करीब 10 जिलों में ये निर्णायक भूमिका अदा करते हैं। इन्हीं वजहों से सपा और भाजपा सहित कई बड़ी पार्टियां सुभासपा को अपने साथ लाना चाहती थी। लेकिन पिछले दिनों ओम प्रकाश राजभर ने अखिलेश यादव के साथ मुलाक़ात के बाद गठबंधन का ऐलान कर दिया।