संसद के दोनों सदनों में शुक्रवार को भी ललित मोदी मामला और व्यापमं घोटाले के छाए रहने के कारण सरकार व विपक्ष के बीच गतिरोध बना रहा। इससे कार्यवाही बार-बार बाधित हुई और बिना किसी महत्वपूर्ण कामकाज के बैठक सोमवार सुबह तक के लिए स्थगित कर दी गई। इस तरह मानसून सत्र का यह पहला हफ्ता हंगामे की भेंट चढ़ गया।
कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष ललित मोदी को मदद पहुंचाने के आरोप में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे व व्यापमं घोटाले को लेकर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के इस्तीफे पर अड़ा हुआ है। वहीं सरकार अपने इस रुख पर कायम है कि किसी मंत्री का इस्तीफा नहीं होगा। सरकार का कहना है कि वह चर्चा के लिए तैयार है लेकिन विपक्ष इससे भाग रहा है।
संसद के दोनों सदनों में शुक्रवार को भी वही नजारा रहा जो पिछले कुछ दिनों से चल रहा है। विपक्ष के हमलों का जवाब देने के लिए भाजपा सदस्यों ने सुबह संसद भवन परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के पास धरना दिया। लोकसभा में शुक्रवार को लगातार तीसरा कामकाजी दिन हंगामे की भेंट चढ़ गया और सदन की कार्यवाही शुरू होने के कुछ ही मिनट बाद सोमवार तक के लिए स्थगित कर दी गई।
काली पट्टी बांध कर सदन में नहीं आने की लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन की चेतावनी के बावजूद कांग्रेस सदस्य शुक्रवार को भी सदन में काली पट्टी लगाकर आए थे। बैठक शुरू होते ही कांग्रेस सदस्य तख्तियां लेकर नारेबाजी करते हुए अध्यक्ष के आसन के समीप आ गए। उधर सत्तारूढ़ भाजपा के नेतृत्व में राजग सदस्य अपने स्थानों पर खड़े होकर सदन की कार्यवाही चलने देने के पक्ष में नारे लगाने लगे। इस दौरान टीआएस सदस्य भी तख्तियां लेकर तेलंगाना में अलग हाई कोर्ट स्थापित करने की मांग करते हुए आसन के समीप आकर नारे लगाने लगे। सुबह ही कार्यवाही स्थगित हो जाने के कारण दोपहर 12 बजे सदन के पटल पर आवश्यक दस्तावेज भी नहीं रखे जा सके।
उधर राज्यसभा में सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच तीखा वाद-विवाद हुआ और दो बार के स्थगन के बाद लगभग ढाई बजे बैठक पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई। सुबह बैठक शुरू होते ही कांगे्रस सदस्य प्रमोद तिवारी ने कहा कि उन्होंने ललित मोदी प्रकरण पर कार्यस्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया है। उन्होंने कहा कि ललित मोदी की मदद करने के कारण सुषमा स्वराज और वसुंधरा राजे को तुरंत इस्तीफा देना चाहिए। उनके इस्तीफे के बाद ही चर्चा होगी।
सत्ता पक्ष के सदस्यों ने उनका कड़ा विरोध शुरू कर दिया। विरोध करने वालों में पीयूष गोयल, प्रकाश जावड़ेकर जैसे केंद्रीय मंत्री भी शामिल थे। सत्तापक्ष के सदस्यों का आरोप था कि विपक्ष इस मुद्दे पर कार्य स्थगन नोटिस देने के बावजूद चर्चा से भाग रहा है। हंगामे के बीच ही जद (एकी) अध्यक्ष शरद यादव ने कहा कि विश्व के इतिहास में कभी ऐसा देखने को नहीं मिला कि सत्तारूढ़ दल ही संसद में धरने पर बैठ गया हो। उन्होंने सवाल किया कि आखिर सत्ताधारी दल किससे मांग कर रहा है। क्या वह भगवान से मांग कर रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार संसद के प्रति जवाबदेह है और उसे अपनी बात सदन में रखनी चाहिए।
सत्ता पक्ष के सदस्यों ने उनकी बात का भी विरोध शुरू कर दिया। हंगामे के बीच ही विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि आज देश को पता चल जाएगा कि सत्ता पक्ष ही सदन की कार्यवाही को नहीं चलने दे रहा है। सत्ता पक्ष के सदस्य सदन की कार्यवाही बाधित कर रहे हैं और विपक्ष को बोलने नहीं दे रहे हैं। हंगामे के कारण बैठक शुरू होने के महज 10 मिनट के अंदर ही दोपहर बारह बजे तक के लिए स्थगित हो गई। बारह बजे बैठक शुरू होने पर भी वही नजारा देखने को मिला और कांग्रेस सदस्य ललित मोदी से जुड़ा मुद्दा उठाने लगे। हंगामे के कारण पांच मिनट के अंदर ही कार्यवाही दोपहर ढाई बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।
ढाई बजे भी सदन में वही नजारा दिखा। उपसभापति पीजे कुरियन ने कहा कि यह समय गैरसरकारी कामकाज का है और वे सिर्फ गैरसरकारी कामकाज से जुड़े मुद्दे को ही उठाने की अनुमति देंगे। इसी दौरान कांग्रेस के सदस्य आसन के समक्ष आकर नारेबाजी करने लगे। उधर सत्तापक्ष के सदस्य भी जवाबी नारेबाजी करने लगे। हंगामे के बीच ही वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सदन की अनुमति से परक्राम्य लिखत संशोधन विधेयक 2015 वापस ले लिया। हंगामा थमते नहीं देख बैठक पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई।