अजय पांडेय
दिसंबर की इन सर्दियों में पांच राज्यों में हुए विधानसभा के चुनाव परिणामों से दिल्ली का सियासी पारा एकदम चढ़ गया है। हिंदी पट्टी के साथ-साथ दक्षिण व सुदूर पूर्वोत्तर से आए चुनाव परिणामों ने देश पर हुकूमत कर रही भाजपा के लिए खतरे की घंटी बजा दी है। दूसरी ओर, विपक्षी दलों की जोर पकड़ती महागठबंधन की कवायद 2019 के लोकसभा चुनाव में कश्मीर से कन्याकुमारी तक के चुनावी समीकरणों को प्रभावित कर सकता है। जम्मू-कश्मीर में हाल ही में नई सरकार के गठन के लिए कांग्रेस, नेशनल कांफ्रेंस और पीपुल्स डेमेक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) ने भाजपा के खिलाफ हाथ मिलाकर यह साफ कर दिया कि यदि भाजपा को सत्ता में आने रोकने की बात हो तो स्थानीय सियासी मसलों को अलग रखा जा सकता है। कश्मीर की वादियों में इस बार भाजपा का चुनावी सफर आसान नहीं रहने वाला। राष्ट्रीय जनता दल के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने कहा कि इन परिणामों का असली संदेश यही है कि इस देश की जनता हजार कष्ट सह सकती है लेकिन अहंकार की भाषा उसे कतई स्वीकार नहीं है। राजद बिहार में बेहद मजबूत स्थिति में है। कांग्रेस से उसका गठबंधन है और ऐसी उम्मीद है कि आने वाले दिनों में उपेंद्र कुशवाहा और कुछ अन्य मजबूत नेता भी राजद-कांग्रेस गठबंधन का हिस्सा बनेंगे। पश्चिम बंगाल में की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी लगातार कांग्रेस की अगुआई में विपक्षी गठबंधन की वकालत कर रही हैं।
भाजपा ने वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में बिहार, उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, महाराष्ट्र आदि राज्यों में बेहद उम्दा प्रदर्शन किए थे। लेकिन 2019 के चुनाव में उसे इन तमाम राज्यों में चुनौती मिलने वाली है। महाराष्ट्र में कांग्रेस व राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी मिलकर चुनाव लड़ेंगे। गुजरात में भी कांग्रेस अब मजबूत स्थिति में आ गई है। राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में वह खुद ही सरकार में होगी तो पंजाब में उसकी सरकार पहले से ही काम है। हरियाणा में इनेलो के दो फाड़ हो जाने से कांग्रेस की स्थिति बेहतर हुई है।
दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस का साथ मिलने की दिशा में काम शुरू कर दिया है। दक्षिण दिल्ली के आम आदमी पार्टी के प्रभारी राघव चड्ढा ने कहा कि राहुल गांधी को दिल्ली में आम आदमी पार्टी के साथ मिलकर लोकसभा का चुनाव लड़ना चाहिए ताकि सूबे की सभी सात सीटों पर कब्जा जमाया जा सके। कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि आने वाले दिनों में कांग्रेस के सहयोगियों की संख्या में इजाफा हो सकता है। लोकसभा चुनाव में असर पड़ेगा।
उत्तर प्रदेश में पिछले कुछ लोकसभा उपचुनावों में भाजपा के खिलाफ गठबंधन का प्रयोग सफल रहा है। लोकसभा चुनाव में भी यह गठबंधन हुआ और कहीं कांग्रेस व आरएलडी भी इसमें जुड़ गई तो भाजपा के लिए पुराना प्रदर्शन दोहराना आसान नहीं होगा। दक्षिण भारत में जयललिता की गैरहाजिरी में उनकी पार्टी एआईडीएमके में आपसी कलह की वजह बन गई है जबकि द्रमुक में करुणानीधि के जाने के बाद शुरू हुई कलह अब काबू हो चुकी है। पार्टी प्रमुख स्टालिन ने दिल्ली में जिस प्रकार कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी व सोनिया गांधी से मुलाकात की उससे तमिलनाडु में इन दोनों दलों के बीच गठबंधन की संभावना पक्की है। इसी प्रकार आंध्र प्रदेश में टीडीपी कांग्रेस के साथ आ खड़ी हुई है।