रेल डिब्बे अगर कार्बन स्टील के बजाए स्टेनलेस स्टील के बने हो तो उससे ट्रेन हादसों के प्रभाव को कम किया जा सकता है। एक उद्योग संगठन ने मंगलवार को यह जानकारी दी। इंडियन स्टेनलेस स्टील डेवलपमेंट एसोसिशन (आईएसएसडीए) ने उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में रेल हादसे का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘देश में अगर रेल डिब्बे कार्बन स्टील के बजाए स्टेनलेस स्टील का बनाया जाए तो इससे ट्रेन हादसों में जनहानि में उल्लेखनीय कमी लायी जा सकती है।’’ आईएसएसडीए देश में प्रमुख स्टेनलेस स्टील उत्पादकों का शीर्ष संगठन है। संगठन के अनुसार अमेरिका, कनाडा, ब्राजील, जापान, कोरिया और आस्ट्रेलिया जैसे विकसित अर्थव्यवस्थाओं और पूर्वी एशियाई देशों में यात्री डिब्बों में स्टेनलेस स्टील का उपयोग सामान्य है। आईएसएसडीए ने कहा कि फिलहाल रेलवे केवल राजधानी, शताब्दी और प्रीमियम ट्रेनों के लिये एलएचबी डिजाइन में स्टेनलेस स्टील का उपयोग कर रही है।
एलएचबी डिब्बों का डिजाइन इस रूप से होता है जिससे वे पटरी से उतरने के दौरान एक दूसरे पर नहीं चढ़ते। स्टेनलेस स्टील के डिब्बे मजबूत होते हैं और टक्कर के दौरान अधिक ऊर्जा का सहन कर सकते हैं और बिना टूट-फूट के प्रभाव को झेल सकते हैं। उल्लेखनीय है कि 19 अगस्त को मुजफ्फरनगर के खतौली में उत्कल एक्सप्रेस के 13 डिब्बे पटरी से उतर गए थे। हादसे में 22 लोगों की मौत हो गई थी और 156 घायल हो गए थे। यह ट्रेन शनिवार शाम पुरी से हरिद्वार जा रही थी। इस मामले में रेलवे ने बीते रविवार को बोर्ड में सचिव स्तर के अधिकारी समेत कुल आठ अधिकारियों पर कार्रवाई की। रेलवे ने तीन शीर्ष अधिकारियों को छुट्टी पर भेज दिया। इसमें रेलवे बोर्ड में सचिव स्तर के एक अधिकारी शामिल हैं।
रेलवे के मुताबिक रेलवे बोर्ड में सदस्य (इंजीनियरिंग), उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक और डिविजनल क्षेत्रीय प्रबंधक (दिल्ली) को छुट्टी पर भेज दिया गया है। इसके अलावा चार अधिकारियों वरिष्ठ डिविजनल इंजीनियर, सहायक इंजीनियर, पटरियों की मरम्मत के उत्तरदायी एक वरिष्ठ सेक्शन इंजीनियर और एक कनीय अभियंता को निलंबित किया है। रेलवे ने कार्रवाई के तहत उत्तर रेलवे के मुख्य ट्रैक इंजीनियर का स्थानांतरण कर दिया।
उत्कल ट्रेन हादसे में पहली बार एफआइआर भी दर्ज की गई है। खतौली की जीआरपी चौकी के प्रभारी अजय सिंह ने मुजफ्फरनगर के जीआरपी थाने में मुकदमा संख्या 145/17 दर्ज कराया है। यह मुकदमा भादंवि की धारा 287, 337,338,304ए, 427 और रेलवे एक्ट की धारा 151,153 के तहत अज्ञात लोगों के खिलाफ पंजीकृत किया गया है।