दस जून को होने वाले राज्यसभा चुनाव के लिए 22 उम्मीदवारों के नाम बीजेपी ने घोषित किए तो ये बात साफ हो गई कि अब लोकसभा के साथ राज्यसभा में भी बीजेपी की तरफ से कोई मुस्लिम चेहरा नहीं दिखेगा। ऊपरी सदन के लिए बीजेपी की 22 उम्मीदवारों की लिस्ट में कोई भी मुस्लिम चेहरा नहीं है। 15 राज्यों की कुल 57 राज्यसभा सीटों के लिए 10 जून को चुनाव होने जा रहा है। नामांकन की आखिरी तारीख 31 मई यानी आज है। बीजेपी से इस बार कई दिग्गजों के पत्ते कट गए हैं।
लोकसभा में बीजेपी का पहले से ही कोई मुस्लिम सांसद नहीं है। 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने छह मुस्लिम उम्मीदवार उतारे थे. लेकिन वे सभी हार गए थे। एनडीए में केवल एक मुस्लिम सांसद खगड़िया से महबूब अली हैं। 2019 में वो बिहार से लोजपा के टिकट पर जीत कर आए थे।
राज्यसभा की बात करें तो बीजेपी से राज्यसभा में तीन मुस्लिम सांसद थे। इनमें केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी, पार्टी प्रवक्ता सैय्यद जफर इस्लाम और एमजे अकबर हैं। तीनों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है। बीजेपी ने तीनों का पत्ता काट दिया है। बीजेपी की लिस्ट को देखकर साफ है कि अब उनकी ओर से कोई भी मुस्लिम चेहरा राज्यसभा में नहीं जाने वाला है।
मुख्तार अब्बास नकवी का राज्यसभा कार्यकाल 7 जुलाई को समाप्त हो रहा है। वो छह महीने में सांसद नहीं बनें तो उनका मंत्री पद भी चला जाएगा। वैसे माना जा रहा है कि उन्हें यूपी की रामपुर लोकसभा उपचुनाव में बीजेपी का उम्मीदवार बनाया जाएगा। जफर इस्लाम का कार्यकाल चार जुलाई और एमजे अकबर का 29 जून को समाप्त हो रहा है। कभी दिग्गज पत्रकार रहे एमजे अकबर जहां मीटू कैंपेन का शिकार हो गए वहीं जफर इस्लाम को बीजेपी ने इस बार राज्यसभा का टिकट न देकर साफ कर दिया कि वो किसी मुस्लिम को ऊपरी सदन में भेजने की इच्छुक नहीं है। हालांकि, राज्यसभा में राष्ट्रपति की तरफ से नॉमिनेट होने वाली सात जगहें खाली हैं। लेकिन उनमें बीजेपी किसी मुस्लिम को जगह देगी ये बात तो आने वाला समय ही बता सकता है।
मुस्लिम नेताओं को बीजेपी में तवज्जो न दिए जाने का खेल मोदी युग शुरू होते ही दिखने लगा था। उत्तर प्रदेश में मुसलमानों की आबादी करीब 15 फीसदी है। लेकिन आजादी से लेकर पहली बार 2014 लोकसभा चुनाव में ऐसा हुआ था, जब एक भी मुस्लिम सांसद उत्तर प्रदेश से नहीं चुना गया। उस वक्त बीजेपी के मुस्लिम प्रत्याशी न उतारने के बावजूद एक भी मुस्लिम सांसद नहीं चुना गया था। इसका बड़ा कारण था वोट बैंक का एसपी, बीएसपी और कांग्रेस के बीच में बंट जाना। 2019 में यूपी से छह मुस्लिम सांसद यूपी से लोकसभा पहुंचे लेकिन ये सभी विपक्षी दलों समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर चुने गए थे।