कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने नरेंद्र मोदी सरकार पर जबरदस्त हमला करते हुए आरोप लगाया है कि वह अपने नेताओं को सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के लिए भय और दबाव का माहौल बनाने की अनुमति देकर खतरनाक दोहरा खेल खेल रही है। वहीं पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने नरेंद्र मोदी को अपने से अच्छा ‘सेल्समैन व ईवेंट मैनेजर’ बताया।।
कांग्रेसी मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए सोनिया गांधी ने पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा कि वे भूमि विधेयक और खाद्य सुरक्षा कानून पर सरकार के कदमों का मजबूती से विरोध करें। उन्होंने आरोप लगाया कि एक तरफ प्रधानमंत्री खुद को सुशासन और संवैधानिक मूल्यों के बड़े पैरोकार के रूप में पेश करना चाहते हैं, वहीं दूसरी तरफ वह अपने कई सहकर्मियों को घृणास्पद बयानों और सांप्रदायिक धु्रवीकरण करने की अनुमति देते हैं। कांग्रेसी मुख्यमंत्रियों के एक दिवसीय सम्मेलन, जो पिछले साल लोकसभा चुनाव में पार्टी की करारी हार के बाद पहला सम्मेलन है, के अपने उद्घाटन संबोधन में उन्होंने कहा कि यह पहले ही हमारे धर्मनिरपेक्ष ताने बाने को नष्ट कर चुका है। डर और दबाव का माहौल जानबूझकर उत्पन्न किया गया है।
सत्ता के अभूतपूर्व केंद्रीकरण के लिए मोदी पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि सरकार की वास्तविकता और शैली दोनों बड़ी चिंता का कारण है। नई सरकार ने एक साल से कुछ समय पहले ही केंद्र की कमान संभाली है। इसकी वास्तविकता और शैली-दोनों सभी को प्रत्यक्ष हैं। दोनों बड़ी चिंता का कारण हैं। उनसे कई परेशान करने वाले सवाल खड़े होते हैं। इन सबसे हमें ठहरना, सोचना और उचित जवाब देना चाहिए।
उन्होंने सम्मेलन में उपस्थित लोगों को 2013 के भूमि अधिग्रहण कानून और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून जैसे मुद्दों पर प्रधानमंत्री मोदी के पूर्ण परिवर्तन के बारे में बताया और कहा कि उनका मजबूती से विरोध किया जाना चाहिए। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि यह चिंताजनक है कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत कवरेज को 67 फीसद से घटाकर 40 फीसद किया जाना प्रस्तावित है और एमएसपी सहित खाद्य खरीद की समूची प्रणाली खतरे में है ।
कांग्रेस अध्यक्ष ने पार्टी के मुख्यमंत्रियों से कहा कि वे अपने राज्यों के हित के लिए केंद्र के साथ मिलकर काम करें, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि जब यह जनहित के खिलाफ काम करे तो वे आंदोलन करें। उन्होंने सहयोग व आम सहमति के लिए उपकारी माहौल उत्पन्न करने की जिम्मदारी केंद्र पर डाली।
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने नरेंद्र मोदी के बारे में कहा कि वह मुझसे अच्छे सेल्समैन, इवेंट प्रबंधक और संवाद करने वाले हैं। मोदी मनमोहन को अकसर ‘मौनी मोहन सिंह’ कहकर तंज कसते थे। दस वर्षों तक प्रधानमंत्री रहे सिंह ने कहा कि अपर्याप्त संवाद के कारण यूपीए की कहानी खत्म नहीं होनी चाहिए। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने योजना आयोग को जल्दबाजी में समाप्त करने को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए इसे गलत फैसला बताया और कहा कि उस निकाय से कमजोर राज्यों और निर्धन क्षेत्रों को मदद मिलती थी। उन्होेंने कहा कि मैं चिंतित हूं कि योजना आयोग को जिसने कमजोर राज्यों और निर्धन क्षेत्रों की मदद की, जल्दबाजी में समाप्त कर दिया गया है।
पूर्व प्रधानमंत्री ने यूपीए शासनकाल के दौरान जीएसटी विधेयक को रोकने के लिए भाजपा की आलोचना की। उन्होंने कहा कि हमने जीएसटी को वास्तविकता में बदलने के लिए हर प्रयास किया लेकिन हमारे खिलाफ विध्नकारी भाजपा थी। अब, भाजपा जीएसटी की सबसे बड़ी हिमायती बन गई है। उन्होंने उस जीएसटी विधेयक पर भी आशंका जताई जिस पर अभी चर्चा की जा रही है।
देश में आर्थिक सुधारों में अहम भूमिका निभाने वाले सिंह ने कहा कि नई जीडीपी संख्याओं की वैधता को लेकर संदेह व्यक्त किए गए हैंं। कुछ हद तक उत्साह है कि 2014-15 से हमारी जीडीपी वृद्धि में एक बार फिर तेजी आने लगी है। नई जीडीपी संख्याओं की वैधता को लेकर सरकार के अंदर और बाहर दोनों स्थानों पर संदेह व्यक्त किए गए हैं।
राहुल गांधी ने अपने संबोधन में सुझाव दिया कि हर कांग्रेस शासित राज्य को दो-तीन परिवर्तनकारी कार्यक्रमों पर जोर देना चाहिए और उन योजनाओं को देश में सर्वश्रेष्ठ बनाना चाहिए। उन्होंने मुख्यमंत्रियों से कहा कि हमें दिखाना चाहिए कि कांग्रेस शासित नौ राज्य देश में सबसे बेहतर तरीके से शासित राज्य हैं।
पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि कृषि क्षेत्र में गहराता संकट पूरी अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा संकेत नहीं है। किसानों का संकट हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती है।