Sonia Gandhi on NEP: पूर्व कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी ने बीजेपी की लीडरशिप वाली केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मुद्दे पर घेरा है। सोनिया ने आरोप लगाया कि सरकार जरूरी चर्चा के बगैर रानजीतिक उद्देश्यों को प्राथमिकता देते हुए ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 थोप रही है।

दरअसल एक अखबार में प्रकाशित एक लेख में सोनिया गांधी ने आरोप लगाया कि एनईपी 2020 सरकार के लिए केंद्रीकरण, व्यावसायीकरण और सांप्रदायिकता के ‘3C’ वाले अपने मूल एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए एक साधन है।

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तमिलनाडु और केंद्र सरकार के बीच जारी है टकराव

तमिलनाडु सरकार और केंद्र के बीच NEP को लेकर टकराव जारी है और स्टालिन सरकार राज्य पर हिंदी भाषा को थोपने का आरोप लगा रही है। इसी परिपेक्ष्य में सोनिया गांधी ने केंद्र सरकार की आलोचना की है, हालांकि उन्होंने इस मुद्दे पर अपन लेख में हिंदी वाले विवाद को नहीं छुआ है।

कांग्रेस का क्या है हिंदी भाषा पर रुख?

बता दें कि मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की अगुआई वाली डीएमके ने इस नीति का कड़ा विरोध किया है और कहा है कि तमिलनाडु कभी भी हिंदी थोपना स्वीकार नहीं करेगा। इस बीच डीएमके की सहयोगी कांग्रेस ने अधिक संयमित रुख अपनाते हुए कहा है कि हिंदी को पसंद से सीखा जा सकता है, थोपकर नहीं।

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सोनिया गांधी ने केंद्र सरकार पर राज्य सरकारों को महत्वपूर्ण नीतिगत निर्णयों से बाहर रखकर शिक्षा के संघीय ढांचे को कमजोर करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि अनियंत्रित केंद्रीकरण पिछले 11 वर्षों से इस सरकार की कार्यप्रणाली की एक विशेषता रही है, लेकिन इसका सबसे हानिकारक प्रभाव शिक्षा के क्षेत्र में पड़ा है। केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड में केंद्र और राज्य के शिक्षा मंत्री शामिल हैं लेकिन उनकी 2019 से बैठक तक नहीं हुई है।

‘राज्य सरकार से नहीं मांगा इनपुट’

कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष ने राज्य सरकारों से परामर्श किए बिना एनईपी 2020 को एकतरफा तरीके से लागू करने के लिए केंद्र की आलोचना की। उन्होंने कहा कि शिक्षा को मौलिक रूप से बदलने वाली नीति पेश करने के बावजूद, केंद्र सरकार ने इसके कार्यान्वयन पर एक बार भी राज्य सरकारों से इनपुट नहीं मांगा है।

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शिक्षा को संविधान की समवर्ती सूची में शामिल किए जाने पर जोर देते हुए गांधी ने केंद्र और राज्यों के बीच अधिक सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने सरकार पर “लोकतांत्रिक परामर्श की अनदेखी करने और विविध क्षेत्रीय दृष्टिकोणों पर विचार किए बिना नीतियां थोपने” का आरोप लगाया।

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