कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा। सोनिया ने कहा कि प्रधानमंत्री कैबिनेट के सदस्यों और भाजपा नेताओं के भड़काऊ भाषणों और बयानों को नजरअंदाज कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह लोकसभा चुनाव के दौरान अपनाई गई ध्रुवीकरण की रणनीति का विस्तार है।
कांग्रेस कार्य समिति की मंगलवार को हुई बैठक में अपने उद्घाटन भाषण में सोनिया गांधी ने आरोप लगाया कि राजग सरकार की प्रवृत्तियां तानाशाही वाली हैं। उन्होंने बैठक में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से कहा कि कांग्रेस के घटते जनाधार को रोकने और लोकसभा चुनाव से शुरू हुई हार के सिलसिले को रोकने के लिए जनता तक पहुंचने के रास्ते और उपायों के बारे में सुझाव दें।
यह बैठक भूमि अधिग्रहण अध्यादेश और किसानों से जुड़े अन्य मुद्दों को लेकर देशव्यापी आंदोलन शुरू करने की योजनाओं पर चर्चा करने के लिए बुलाई गई थी। अध्यादेश के मुद्दे पर सोनिया ने कहा कि देश की लोकतांत्रिक संस्थाओं को नजरअंदाज किया जा रहा है। भाजपा सरकार ने अपने सात महीने के कार्यकाल के दौरान दस अध्यादेश जारी करवाए हैं। उन्होंने यह भी सवाल किया कि क्या इस जल्दबाजी के पीछे कोई छिपा हुआ उद्देश्य है।
पार्टी मुख्यालय में करीब चार घंटे चली बैठक में पार्टी नेताओं ने सक्रिय सदस्यों की अवधारणा को फिर से शुरू करने, चुने हुए पदाधिकारियों के कार्यकाल को पांच साल से घटा कर तीन साल करने और पार्टी की जिला व राज्य समितियों में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, ओबीसी और अल्पसंख्यकों को 50 फीसद आरक्षण देने जैसे संगठनात्मक मुद्दों पर चर्चा की।
कांग्रेस कार्य समिति की इस बैठक में पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं को सशक्त बनाने और पार्टी के प्रखंड अध्यक्षों को अधिकार सौंपने की जोरदार वकालत की। इस बीच राहुल गांधी को पार्टी अध्यक्ष के रूप में प्रोन्नत करने के बारे में मीडिया में चल रही अटकलों को खारिज करते हुए कांग्रेस महासचिव अंबिका सोनी ने कहा कि सीडब्ल्यूसी के एजंडे में यह मुद्दा नहीं था और बैठक में इस बारे में कोई चर्चा नहीं हुई।
यह पूछे जाने पर कि क्या बैठक में किसी ने राहुल गांधी को पार्टी अध्यक्ष बनाने का मुद्दा उठाया था, सोनी ने कहा- यह एजंडे में नहीं था। जो एजंडे में नहीं था, उस पर चर्चा नहीं हो सकती। जब हमें दोनों की मदद मिल रही है तो आप बार-बार इसकी चर्चा क्यों करते हैं।
बैठक में पार्टी कार्यकर्ताओं के आधार का विस्तार करने और संगठनात्मक ढांचे में बदलाव के मुद्दे पर खासतौर से चर्चा की गई, क्योंकि सोनिया गांधी ने अपने प्रारंभिक भाषण में चर्चा का एजंडा तय कर दिया था।
पूर्व केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश और पूर्व उपभोक्ता मामलों के मंत्री केवी थामस ने अध्यादेश और साथ ही किसानों को प्रभावित करने वाले दूसरे मुद्दों को लेकर बैठक में विस्तार से जानकारी दी। कांग्रेस को लगता है कि विवादास्पद भूमि अधिग्रहण अध्यादेश का मुद्दा विपक्ष के गोलबंद होने के एक अवसर के रूप में उभर रहा है।