Finance Minister Nirmala Sitharaman: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कांग्रेस और यूपीए सरकार के खिलाफ शुक्रवार को चौतरफा हमला बोला। सीतारमण ने कहा कि यूपीए सरकार का शासन दिशाहीन और नेतृत्वहीन था। उन्होंने कहा कि उस वक्त सोनिया गांधी ने ‘सुपर प्रधानमंत्री’ के रूप में काम किया। लोकसभा में श्‍वेत पत्र पर बहस के जवाब में निर्मला सीतारमण ने 2004 से 2014 तक कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए और उसके बाद भाजपा के नेतृत्‍व वाले एनडीए की अर्थव्‍यवस्‍था को लेकर तुलना की।

निर्मला सीतारमण ने 2013 की एक घटना को लेकर कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी पर भी जमकर हमला बोला। वित्त मंत्री ने राहुल गांधी द्वारा मनमोहन सिंह सरकार में फाड़े गए एक प्रस्तावित अध्यादेश का जिक्र किया कि कैसे राहुल गांधी ने उस अध्यादेश को फाड़ दिया था। सीतारमण ने राहुल गांधी को अहंकारी कहा और उनके कृत्य को अपने ही प्रधानमंत्री का अपमान बताया।

निर्मला सीतारमण ने कहा कि अर्थव्यवस्था के सुधार के लिए 10 साल तक कोशिश करने के बाद हम आज ‘फ्रेजाइल 5′ से पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गए हैं। जल्द ही तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेंगे।

वित्त मंत्री ने कहा कि पिछली सरकार के शासनकाल के दौरान समस्याएं और कुप्रबंधन नेतृत्व के कारण था। सीतारमण ने कहा कि नेतृत्व समस्या के मूल में था। दिशाहीन, नेतृत्वहीन नेतृत्व यूपीए के कुप्रबंधन का केंद्र था। यह घोटाले के 10 साल थे। सोनिया गांधी राष्ट्रीय सलाहकार परिषद की अध्यक्ष के रूप में सुपर प्रधानमंत्री थीं।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आरोप लगाया कि शासन पर दबाव था क्योंकि सोनिया गांधी को एनएसी अध्यक्ष के रूप में अतिरिक्त-संवैधानिक अधिकार मिला था, जिसे प्रधानमंत्री के लिए एक सलाहकार बोर्ड के रूप में स्थापित किया गया था। सीतारमण ने दावा किया कि सरकार द्वारा 710 फाइलें अनुमति के लिए एनएसी के पास भेजी गई थीं। वित्त मंत्री ने कहा कि यह यह गैर जिम्मेदार, गैर जवाबदेह शक्ति थी, 710 फाइलें एनएसी को क्यों भेजी गईं?

सीतारमण ने साल 2013 की घटना का किया जिक्र

विपक्ष के सरकार पर संस्थानों का सम्मान नहीं करने के आरोप पर निर्मला सीतारमण ने राहुल गांधी से जुड़ी साल 2013 की घटना का जिक्र किया। वित्त मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह विदेश में थे। राहुल गांधी ने एक अध्यादेश फाड़ दिया और उसे एक प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में फेंक दिया। क्या यह अपने ही प्रधानमंत्री का अपमान नहीं है? वह अहंकारी थे, उन्हें अपने ही प्रधानमंत्री की परवाह नहीं थी। वे अब संस्थानों के बारे में चिल्ला रहे हैं और हमें लेक्‍चर दे रहे हैं।