दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के बेटे और समाजवादी पार्टी (सपा) से सांसद नीरज शेखर ने सोमवार (15 जुलाई, 2019) को संसद के उच्च सदन राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने इसके साथ ही सपा का दामन भी छोड़ दिया। ‘पीटीआई’ की रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया कि राज्यसभा के सभापति एम.वैंकेया नायडू ने उनका इस्तीफा स्वीकार लिया है। नीरज इससे कुछ देर पहले नायडू से मिले थे और उन्होंने इस्तीफे को निजी इच्छा बताया था। बोले कि उनका यह कदम किसी के दबाव में नहीं लिया गया है।
दरअसल, 2019 के आम चुनाव में मनमाफिक सीट से टिकट न मिलने पर वह पार्टी मुखिया अखिलेश यादव से नाराज चल रहे थे और अब उनका इस्तीफा आया। सूत्रों के मुताबिक, नीरज बलिया (उनके परिवार की पारंपरिक सीट रही है) से लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते थे, पर सपा चीफ ने उन्हें टिकट नहीं दिया।
सूत्रों के हवाले से कुछ टीवी मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया कि नीरज, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बाद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में शामिल हो सकते हैं। हालांकि, इस बाबत किसी प्रकार की आधिकारिक पुष्टि नहीं हो सकी है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, नीरज के पिता पर लिखी राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश की किताब ‘चंद्रशेखरः द लास्ट आइकन ऑफ आइडियोलॉजिकल पॉलिटिक्स’ का खुद पीएम मोदी विमोचन करेंगे, जिसके बाद नीरज के भाजपाई बनने की संभावना है।
यूपी के बलिया स्थित इब्राहिमपत्ती गांव में 10 नवंबर 1968 को जन्मे नीरज 29 दिसंबर 2007 को सपा के टिकट पर बलिया से उप-चुनाव लड़े थे। उन्हें तब लगभग तीन लाख वोट मिले थे। 2009 में वह उसी सीट से 15वीं लोकसभा में फिर चुने गए, जबकि 26 नवंबर 2014 से वह यूपी से राज्यसभा सांसद थे, जबकि उनका कार्यकाल 25 नवंबर 2020 को पूरा होना था।