राहुल गांधी की कथित राजनीतिक जासूसी किए जाने के मामले को कांग्रेस ने सोमवार को संसद के दोनों सदनों में जोर शोर से उठाया पर वह इसे मुद्दा बना पाने में नाकाम नजर आई। सरकार ने इसे सिरे से खारिज करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री, पूर्व प्रधानमंत्रियों और प्रमुख राजनीतिक व्यक्तियों का इस तरह का प्रोफाइल बनाना सुरक्षा व्यवस्था का हिस्सा है जो यूपीए शासन सहित 1957 से जारी है।
लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने शून्यकाल में इस मामले को उठाते हुए आरोप लगाया कि राहुल गांधी की राजनीतिक जासूसी की जा रही है। उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि अगर प्रोफाइल बनाने की बात है तो फिर राहुल के बारे में ये सवाल क्यों पूछे गए कि उनके जूते का नंबर क्या है और उनका जन्म चिन्ह (बर्थ मार्क) कहां हैं? उन्होंने इस विषय पर कार्यस्थगन प्रस्ताव का नोटिस भी दिया था जिसे स्पीकर सुमित्रा महाजन ने अस्वीकार करते हुए कहा कि वे इस मामले को शून्य काल में उठा सकते हैं।
कांग्रेस नेता के आरोप के जवाब में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि खरगे ने यह सवाल उठाया है कि प्रोफाइल बनाने के लिए राहुल के जूते का नंबर क्यों पूछा गया। उन्होंने राजीव गांधी का नाम लिए बिना कहा कि देश के एक पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या के बाद उनके शव की पहचान उनके जूतों से ही हो सकी थी। यह सुरक्षा का मुद्दा है जिसे राजनीतिक मुद्दा नहीं बनाना चाहिए। 1957 से ही देश के प्रमुख व्यक्तियों की सुरक्षा प्रोफाइलिंग की व्यवस्था चली आ रही है जिसे 1987 और फिर 1999 में संशोधित किया गया।
जेटली ने कहा कि प्रोफाइल में जूते का नंबर, मूंछे हैं या नहीं, चप्पल पहनते हैं या जूता, आंखों का रंग क्या है, बदन में तिल कहां हैं, अक्सर कहां कहां घूमने जाते हैं, कौन कौन अक्सर मिलने आते हंै, ये सब बातें पूछी गई हैं। ये बातें सुनने में हास्यास्पद लग सकती हैं लेकिन सुरक्षा के लिए बहुत जरूरी हैं। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी सहित सभी प्रमुख राजनीतिकों से उनके प्रोफाइल लिए गए हैं। इनमें भाजपा नेताओं के साथ ही माकपा नेता सीताराम येचुरी और जद (एकी) के शरद यादव के भी नाम हैं। कांग्रेस पर उन्होंने आरोप लगाया कि वह इसे जबरदस्ती मुद्दा बना रही है जबकि यह कोई मुद्दा है ही नहीं।
राहुल ‘जासूसी’ विवाद: बीएस बस्सी ने कहा, ज़रूरी नहीं कि पुलिस आयुक्त को हर बात पता हो
राहुल की जासूसी के आरोप को खारिज करते हुए जेटली ने कहा कि अगर जासूसी ही करनी होती तो चुपके से की जाती, पुलिस को उस व्यक्ति के पास ही भेजकर ऐसी बातें नहीं पुछवाते। उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया कोई पिछले आठ-नौ महीने से शुरू नहीं हुई है, 1957 से चली आ रही है।
संसदीय कार्य मंत्री एम वेंकैया नायडू ने लोकसभा में इस आरोप को गलत बताया कि किसी व्यक्ति या पार्टी को निशाना बनाकर कोई जासूसी की जा रही है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति बनने से पूर्व प्रणव मुखर्जी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित पूर्व प्रधानमंत्रियों, भाजपा अध्यक्ष, कांग्रेस अध्यक्ष आदि समेत 526 वीवीआइपी हस्तियों के समय समय पर ऐसे प्रोफाइल बनाए गए हैं। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का भी ऐसा प्रोफाइल बनाते समय उनसे पूछा गया था कि क्या वह चप्पल पहनते हैं? और उन्होंने कहा था कि ‘हां, मैं चप्पल पहनता हूं।’ उनसे यह भी पूछा गया था कि क्या वह धोती कुर्ता पहनते हैं और उनका रंग क्या है?
नायडू ने कहा कि सोनिया गांधी को भी ऐसा ही प्रपत्र दिया गया था जिसे या तो उन्होंने खुद या उनके सचिव ने भरा होगा। उन्होंने कहा कि मेरी सरकार जासूसी में यकीन नहीं रखती और जो प्रोफाइल बनाया जा रहा है, वह एक नियमित प्रक्रिया है। यूपीए के शासन के समय में, उससे पहले और बाद में भी प्रोफाइल समय समय पर अपडेट किए जाते रहे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष का 1998 और 2004 में, वाजपेयी का 1996 में, वर्तमान राष्ट्रपति मुखर्जी का 2001 और 2010 में, भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी का 2011 में , पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा और इंद्र कुमार गुजराल का 2011 में , सुषमा स्वराज का 2013 में, राजनाथ सिंह का 2007 में और अरुण जेटली का 2009 में प्रोफाइल अपडेट किया गया।
खरगे की इस बात का कि गुजरात मॉडल की तरह दिल्ली में भी अब जासूसी की जा रही है, नायडू ने कड़ा प्रतिवाद करते हुए कहा कि गुजरात का नाम लेना एक फैशन बन गया है। हमें गुजरात माडल पर गर्व है। प्रोफाइल बनाने के प्रपत्र को 1999 में अपडेट करके उसमें जूते और ड्रेस कोड की जानकारी को भी शामिल किया गया। इससे पूर्व खरगे ने आरोप लगाया कि सरकार राजनीतिक विरोधियों को डराना धमकाना चाहती है। उन्होंने कहा कि सरकार केवल विरोधी दलों के नेताओं के साथ ही नहीं बल्कि खुद अपने दल के आडवाणी जैसे वरिष्ठ नेताओं के साथ ऐसा व्यवहार कर रही है।
राहुल के जूते का साइज पूछे जाने पर आपत्ति जताते हुए खरगे ने व्यंग्य किया कि क्या सरकार उन्हें उनके नंबर का जूता बनवाकर देने वाली है? उन्होंने कहा कि कांग्रेस उपाध्यक्ष को एसपीजी सुरक्षा मिली हुई है जिससे छन-छन कर सारी खबरें सरकार तक पहुंचती होंगी। ऐसे में प्रोफार्मा भेजने की क्या जरूरत थी? दिल्ली के पुलिस आयुक्त ने किसके कहने पर 2 और 14 मार्च को पुलिस अधिकारियों को राहुल के यहां भेजा?