धूम्रपान करने वालों को कोरोना विषाणु का गंभीर संक्रमण होने का 40 से 50 फीसद अधिक जोखिम रहता है। भारत में हर साल तंबाकू के सेवन से 13 लाख लोगों की मौत होती है। यदि इसे प्रतिदिन के हिसाब से देखा जाए तो यह आंकड़ा करीब 3,500 बनता है, जो बहुत बड़ी संख्या है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने ‘विश्व तंबाकू निषेध दिवस’ पर अपने संदेश में कहा कि धूम्रपान और तंबाकू के सेवन से हृदय और फेफड़ों पर दुष्प्रभाव पड़ता है। कैंसर, विशेष रूप से मुंह का कैंसर और श्वसन रोग होने का भी खतरा बना रहता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक अध्ययन के अनुसार तंबाकू के सेवन से होने वाले रोगों और अन्य प्रभाव से भारत में 2017-2018 में 1.77 लाख करोड़ रुपए का अर्थव्यवस्था पर बोझ पड़ा, जो सकल घरेलू उत्पाद का एक फीसद है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि उन्होंने 1997 में दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री के कार्यकाल के दौरान विधानसभा में ‘दिल्ली तंबाकू निषेध व धूम्रपान न करने वालों का स्वास्थ्य प्रतिरक्षा अधिनियम’ पारित करवाया था। उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली के कानून के महत्त्व को समझते हुए कहा था कि ऐसा कानून देश के सभी राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों और केंद्र में बनाया जाना चाहिए।
यह कानून 2002 में देश में सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान निषेध के लिए नमूना बना। इसके बाद 2003 में केंद्र सरकार ने तंबाकू नियंत्रण का व्यापक कानून बनाया गया था। इस कानून का उद्देश्य धुआं रहित सार्वजनिक स्थल उपलब्ध कराना और तंबाकू के विज्ञापन और प्रचार को न्यूनतम बनाना था।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि लाखों लोग ‘छोड़ने के लिए प्रतिबद्ध’ विषय को समझते हुए धूम्रपान और तंबाकू सेवन बंद करना चाहते हैं। केंद्र सरकार ने 2016 में इसके लिए निशुल्क सेवा 1800-112-356 शुरू की थी, जिसका सितंबर 2018 में विस्तार किया गया था।
सितंबर, 2018 से पहले प्रति माह इस सेवा पर 20,500 कॉल आते थे, जो कि इस सेवा के विस्तार के बाद प्रति माह 2.5 लाख हो गए। यह हम सबके लिए संतोष का विषय है। यह सेवा अब 16 भाषाओं में उपलब्ध है। हर्षवर्धन ने कहा, मैं लोगों से अपना व्यवहार बदलने और तंबाकू का सेवन छोड़ने की अपील करता हूं।