मनीष सिसोदिया बेल के लिए एक कोर्ट से दूसरी कोर्ट तक भटक रहे हैं। स्पेशल कोर्ट ने उनको जमानत देने से इनकार किया तो वो हाईकोर्ट जा पहुंचे। पहले वो खुद को बेकसूर बताकर जमानत मांग रहे थे। बात नहीं बनी तो उन्होंने पत्नी की बीमारी का हवाला देकर हाईकोर्ट से अंतरिम जमानत की मांग की। लेकिन हाईकोर्ट भी उनसे एक कदम आगे निकला। उसने ऐसा इंतजाम किया कि सिसोदिया चुप हो गए। हाईकोर्ट ने तिहाड़ जेल प्रशासन से कहा है कि एक दिन छोड़कर एक दिन शाम को तीन से चार बजे के बीच सिसोदिया की पत्नी से वीडियो कांफ्रेंसिंग पर बात कराओ।
हाईकोर्ट ने रिजर्व किया फैसला, तब तक पत्नी से बात करते रहेंगे सिसोदिया
दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस दिनेश शर्मा का कहना था कि पत्नी का हालचाल उन्हें मिलते रहना चाहिए। सिसोदिया ने सीबीआई के केस में हाईकोर्ट से रेगुलर बेल मांगी थी। इसके साथ ही उन्होंने बीमार पत्नी का हवाला देकर अंतरिम जमानत की मांग भी की थी। हाईकोर्ट ने कहा कि जब तक उनकी रिट पर कोई फैसला नहीं हो जाता तब तक उनकी पत्नी से बता कराई जाती रहे। हाईकोर्ट ने फिलहाल फैसला रिजर्व रख लिया है।
मनीष सिसोदिया को दिल्ली शराब घोटाले में सीबीआई ने अरेस्ट किया था। उसके बाद ईडी ने भी उनको मनी लांड्रिंग के केस में नामजद कर लिया। सिसोदिया का कहना है कि शराब घोटाले में उनका कोई हाथ नहीं है। उनकी दलील है कि सीबीआई चाहती है कि वो जुर्म को कबूल कर लें। लेकिन भारत का संविधान उन्हें अपने केस की पैरवी का हक देता है। वो ऐसा कुछ भी नहीं करने जा रहे जो सीबीआई चाहती है। वो बेकसूर हैं और जब तक सभी आरोपों से बरी नहीं हो जाते तब तक लड़ते रहेंगे। हालांकि सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने उनकी किसी भी दलील को मानने से मना कर दिया।
स्पेशल जज ने सिसोदिया को माना था शराब घोटाले का मास्टरमाइंड
स्पेशल जज एमके नागपाल का कहना था कि शराब घोटाले के मास्टर माइंड सिसोदिया खुद हैं। 90 से 100 करोड़ रुपये की रिश्वत में उनका सक्रिय रोल था। उनको जमानत पर रिहा करने से साक्ष्यों से छेड़छाड़ के साथ गवाहों को भी दबाव में लेने की कोशिश हो सकती है।
सिसोदिया को 8 घंटे की पूछताछ के बाद बीती 26 फरवरी को गिरफ्तार किया गया था। सीबीआई के बाद ईडी ने उन पर शिंकजा कस दिया था। दोनों एजेंसियों का कहना है कि सिसोदिया के दिल्ली के नौकरशाहों से बेहद घनिष्ठ संबंध हैं। वो एजेंसी को भटकाने की कोशिश कर रहे हैं।