जम्मू और कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा देनेवाले अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को ख़त्म करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने के बाद कश्मीर पर मोदी सरकार से पहली बार संसदीय समिति पूछताछ करेगी। केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला जम्मू कश्मीर और लद्दाख की स्थिति पर चर्चा करने के लिए कांग्रेस नेता आनंद शर्मा की अध्यक्षता में गृह मामलों की संसदीय स्थायी समिति के समक्ष पेश हो सकते हैं। बीजेपी के राज्यसभा सदस्य राकेश सिन्हा ने इकनॉमिक टाइम्स को बताया कि गृह मामलों की स्थायी समिति की बैठक 15 नवंबर को होगी।

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 370 एक ऐसा लेख था जो जम्मू और कश्मीर को स्वायत्तता का दर्जा देता था। 5 अगस्त को केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 को लागू कर जम्मू और कश्मीर को अनुच्छेद 370 के तहत मिलने वाले विशेष राज्य के दर्जे को छीन लिया। विधेयक संसद के दोनों सदनों में पारित किया गया और 31 अक्टूबर से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश बन गए।

संसदीय पैनल 5 अगस्त को हुए संचार नाकाबंदी के बाद से घाटी में नज़रबंद, हिरासत में लिए गए लोगों और दर्ज किए गए बंदी प्रत्यक्षीकरण के मामलों की सही संख्या जानने की कोशिश करेगा। अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करने के बाद पूर्व मुख्यमंत्रियों उमर अब्दुल्ला, फारूक अब्दुल्ला और महबुबा मुफ्ती समेत कई अन्य नेताओं को घर में नजरबंद कर दिया गया था और वे अब भी नजरबंद हैं। संसदीय समिति उनके हिरासत और गिरफ्तारी की अवधि पर स्पष्टीकरण मांगना चाहेगी।

पैनल संचार सेवा पर लगी पाबंदियों पर सरकार की प्रतिक्रिया की भी जांच करेगा। सरकार ने यहां मोबाइल फोन, इंटरनेट और लैंडलाइन सेवाओं पर रोक लगा राखी है। एक महीने के बाद लैंडलाइन और मोबाइल फोन कनेक्टिविटी बहाल हो गई थी, लेकिन 102 दिनों के बाद भी ब्रॉडबैंड और इंटरनेट सेवाएं निलंबित हैं।