शिवसेना विवाद मामले की सुनवाई के दौरान सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने सुनवाई के दौरान हल्के मूड़ में कहा कि वेन आई वाज ए यंग लॉयर। सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता ने उनकी चुटकी लेते हुए कहा कि आप अभी भी जवां हैं। सिब्बल ने फिर से अपनी बात रखते हुए कहा कि वेन आई वाज ए यंग लॉयर जैसे डॉयलाग जस्टिस भगवती और जस्टिस चंद्रचूड़ की कोर्ट में ही इंप्रेसिव लगते थे। उनकी इस बात पर कुछ देर के लिए कोर्ट रूम में ठहाके लगने लगे।

शिवसेना विवाद की सुनवाई खुद सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ कर रहे हैं। सिब्बल शिवसेना की तरफ से पैरवी कर रहे हैं। शिवसेना की आपत्ति इस बात को लेकर है कि महा विकास अघाड़ी की सरकार को गिराने में गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी ने सक्रिय भूमिका अदा दी थी।

सीजेआई चंद्रचूड़ ने राज्यपाल की भूमिका को लेकर उठाए सवाल

सीजेआई की बेंच ने बुधवार को मामले की सुनवाई करते हुए सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता से राज्यपाल की भूमिका को लेकर तीखे सवाल पूछे। उनका कहना था कि राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने जल्दबाजी करते हुए असेंबली का सेशन बुलाने का फैसला किया। उनके इस फैसले पर दो सवाल खड़े होते हैं। तुषार मेहता का कहना था कि आप केवल ये पूछ रहे हैं कि कि शिवसेना में अंदरूनी उठापटक के चलते गवर्नर को इस तरह का फैसला लेना चाहिए था। इस तरह का सवाल रामेश्वर प्रसाद के केस में भी उठा था।

सीजेआई ने पढ़ा शेर तो तुषार मेहता ने बताया पूरा मतलब

चंद्रचूड़ ने इस पर चुटकी लेते हुए कहा कि वो भी सुना उसने जो मैंने कहा नहीं। उनका कहना था कि कानूनी भाषा में हम लाइनों के बीच की परिभाषा लेते हैं। तुषार मेहता ने उनकी बात पर मजाकिया अंदाज में एक शेर सुनाया। मैं चुप रहा तो और गलतफहमियां बढ़ीं…वो भी सुना है उसने जो मैंने कहा नहीं। सीजेआई ने उनकी बात पर हंसते हुए कहा कि अभी सॉलीसिटर जनरल के दफ्तर को इंज्वाय करें, एक दिन आप…। तुषार मेहता ने उनकी बात पर कहा कि वो राजनीति में नहीं जाने वाले हैं।

सीजेआई ने शिंदे ग्रुप की उद्धव ठाकरे से बगावत पर कहा कि चुनाव के बाद शिवसेना ने भी बीजेपी को छोड़कर कांग्रेस और एनसीपी से गठजोड़ कर लिया था। ये बात ज्यादा गंभीर नहीं हैं। लेकिन शिंदे तीन साल तक शिवसेना और कांग्रेस-एनसीपी के साथ रोटियां खाते रहे। एक दिन 34 विधायकों के ग्रुप को लगा कि जिनके साथ वो थे वो लोग ठीक नहीं थे। सीजेआई का कहना था कि मेहता को ये सवाल खुद से पूछना चाहिए था कि आखिर एक दिन में ऐसा क्या हो गया जो शिंदे शिवसेना के खिलाफ हो गए। तीन साल तक वो हेप्पली मैरिड थे। मेहता का कहना था कि ऐसे सवाल का जवाब देना उनका काम नहीं है। ये एक राजनीतिक सवाल है।

गवर्नर की भूमिका पर उठे सवाल तो एसजी ने किया सुप्रीम कोर्ट के फैसले का जिक्र

चंद्रचूड़ का सवाल था कि लोग इसी तरह से सरकार से नाखुश होने लगे और गवर्नर जिस पार्टी से हैं उनके कहने पर विश्वास मत कराने का फैसला करने लगे तो क्या ये चीज जायज है। मेहता का कहना था कि लोकतंत्र ऐसे ही चलता है। उनका कहना था कि सुप्रीम कोर्ट ने ही कहा था कि इस तरह के हालात में गवर्नर की ड्यूटी है कि वो इस तरह का फैसला लें। उनका कहना था कि शिंदे गुट के विधायकों को धमकी दी जा रही थी। ऐसे में क्या गवर्नर चुपचाप होकर बैठे रहते।