पश्चिम बंगाल में बीजेपी और टीएमसी के बीच वर्तमान समय में कैसे रिश्ते हैं, यह पूरा हिंदुस्तान जानता है। दोनों दल एक-दूसरे पर अपने कार्यकर्ताओं की हत्या के आरोप तक लगा चुके हैं। बंगाल में बीजेपी – ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी को किसी भी हालात में राज्य की सत्ता से बेदखल करना चाहती है तो वहीं टीएमसी भी बीते कुछ सालों से राज्य में बीजेपी को ही अपना सबसे बड़ा प्रतिस्पर्धी मान रही है लेकिन अब जो खबर बंगाल से आई है, वह आपको हैरान कर सकती है।

द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि दोनों दलों ने नंदीग्राम में एक छोटे को-ओपरेटिव चुनाव में सीट एडजस्टमेंट किया है। इस को-ओपरेटिव चुनाव में 54 सीटों में से 32 पर टीएमसी ने जीत दर्ज की जबकि 18 पर बीजेपी जीती। इन सभी सीटों एक ही प्रत्याशी ने नॉमिनेशन किया और वह निर्विरोध जीता हुआ घोषित किया गया।

खास बात ये है कि ये को-ओपरेटिव नंदीग्राम विधानसभा सीट में आती है, जहां से विधायक शुभेंदु अधिकारी हैं। वह वर्तमान में बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता हैं। नंदीग्राम विधानसभा सीट पर पिछले विधानसभा चुनाव में शुभेंदु अधिकारी ने ममता बनर्जी को करीबी मुकाबले में मात दी थी।

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14 दिसंबर को घोषित किए गए परिणाम

द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में बताया गया है कि पूर्व मेदिनीपुर जिले के नंदीग्राम के रामपुर में दीनबंधु सहकारी कृषि विकास सोसाइटी के चुनाव 5 जनवरी को होने वाले थे। हालांकि क्योंकि किसी भी पार्टी ने पर्चा भरने वाले प्रत्याशी के खिलाफ उम्मीदवार नहीं उतारा इसलिए सभी 14 दिसंबर को निर्विरोध विजेता घोषित कर दिया गया।

क्यों मिलाए दोनों पार्टियों ने हाथ?

द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में टीएमसी भेकुटिया आंचल के सचिव अरूप गोई ने कहा कि यह फैसला लोकल लोगों द्वारा लिया गया। चुनाव में पैसा खर्च होता है। सहकारी समिति के चुनाव की व्यवस्था के लिए 2 लाख रुपये खर्च होने थे। इसलिए दोनों पक्षों के अच्छी थिंकिंग वाले लोगों ने बैठक कर सीटों के तालमेल पर फैसला किया।

बीजेपी नेता और पार्टी के तामलुक जिले के संगठन के सदस्य सुदीप दास ने कहा कि को-ऑपरेटिव चुनाव में कोई सियासी रंग नहीं है। लोकल लोगों ने सीट एडजस्टमेंट  का फैसला किया। यह अन्य जगहों पर, राज्य में या केंद्र में नहीं दिखाई देगा।

हालांकि नाम न छापने की शर्त पर बीजेपी लोकल लीडरशिप ने कथित तौर पर बताया कि अगर उन्होंने इस तरह का समझौता नहीं किया होता तो टीएमसी ने वोटर्स को डरा धमकाकर सभी सीटें जीत ली होतीं। इस एरिया के लिए यह एग्रीमेंट बेस्ट था। इसलिए लोकल लीडर्स ने यह तय किया। कम से कम हमारे पास 18 सीटें तो हैं। 

CPIM ने बीजेपी-टीएमसी पर साधा निशाना

बीजेपी-टीएमसी के बीच हुए इस समझौते को लेकर वामपंथी दल CPIM ने दोनों पार्टियों पर निशाना साधा है। मीडिया से बातचीत में CPIM के स्टेट सेक्रेटरी मोहम्मद सलीम ने कहा कि बीजेपी और टीएमसी एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। हम लगातार इस बात को कह रहे हैं। दोनों के बीच एक मौन सहमति है। टीएमसी के खिलाफ बीजेपी का विरोध महज एक दिखावा है। दोनों ने क्षेत्र में वामपंथियों की बढ़ती लोकप्रियता को रोकने के लिए ऐसा किया।

हालांकि बीजेपी और टीएमसी दोनों ही दलों की सीनियर लीडरशिप इसे नकारती हैं। टीएमसी के प्रवक्ता कुनाण घोष कहते हैं कि सहकारी चुनाव लोकल लेवल पर होते हैं और इनमें चीजें लोकल लोगों द्वारा तय की जाती हैं। हम उस एरिया के कार्यकर्ताओं और नेताओं से पूछेंगे कि वहां क्या हुआ। दूसरी तरफ बीजेपी की नेता और पूर्व सांसद लॉकेट चटर्जी ने कहा कि नंदीग्राम में शुभेंदु अधिकारी ने ममता बनर्जी को हराया था। वहां टीएमसी से समझौते का सवाल ही नहीं हो सकता। पार्टी पता लगाएगी कि क्या हुआ?

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