ड्रग्स प्लांटिंग केस में ट्रायल कोर्ट को तब्दील कराने की मंशा से गुजरात हाईकोर्ट पहुंचे संजीव भट्ट को झटका लगा है। उच्च न्यायालय ने उनकी याचिका को खारिज कर दिया है। संजीव भट्ट का कहना था कि ट्रायल कोर्ट में निष्पक्ष ट्रायल नहीं हो रहा। लिहाजा उनका केस किसी और कोर्ट में स्थानांतरित कर दिया जाए। संजीव गुजरात के पूर्व आईपीएस अफसर हैं। उनके खिलाफ कई मामले चल रहे हैं।
गुजरात हाईकोर्ट के सिंगल जज समीर दवे की बेंच ने संजीव भट्ट की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि उनकी आशंकाएं निराधार हैं। भट्ट के वकील ने हाईकोर्ट से ये भी अपील की थी कि 1 माह के लिए ट्रायल पर रोक लगा दी जाए। लेकिन हाईकोर्ट ने इसे भी खारिज कर दिया।
1996 का है मामला, भट्ट के एसपी रहते NDPS में अरेस्ट किया गया था राजस्थान का शख्स
ड्रग प्लांट करने का ये मामला 1996 का है। संजीव भट्ट उस समय बनासकांठा के एसपी थे। पुलिस ने राजस्थान निवासी समरसिंह राजपुरोहित को पालनपुर के होटल से अरेस्ट किया था। आरोप था कि उसके पास से ड्रग्स बरामद की गई। लेकिन राजस्थान पुलिस का कहना था कि राजस्थान के पाली में एक विवादित जमीन को ट्रांसफर न करने पर समरसिंह को गुजरात पुलिस ने फंसाया। मामले को कोर्ट में चुनौती दी गई।
गुजरात हाईकोर्ट ने मामले की जांच जून 2018 में सीआईडी के हवाले कर दी। उसी साल सितंबर में भट्ट को गिरफ्तार कर लिया गया। चार्जशीट दाखिल होने के बाद हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को दिए आदेश में कहा कि सुनवाई 9 माह में पूरी कर ली जाए। 2022 में हाईकोर्ट ने लोअर कोर्ट को सुनवाई पूरी करने के लिए कुछ अतिरिक्त समय भी दिया। हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट से कहा कि 31 मार्च 2023 तक ट्रायल हर हाल में पूरा कर लिया जाए। संजीव भट्ट इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए। लेकिन वहां उनके ऊपर 10 हजार रुपये का जुर्माना लगा दिया गया।