शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने सोमवार को अतिवाद और आतंकवाद के विकास में सामाजिक-आर्थिक कारकों की भूमिका पर जोर दिया। राउत के अनुसार, भूख, गरीबी और बेरोजगारी ही लोगों के अपराध की ओर मुड़ने के मूल कारण हैं। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि सरकारें ऐसा माहौल बनाने के लिए ज़िम्मेदार हैं जो इस तरह के व्यवहार को बढ़ावा देता है।
संजय राउत ने कहा, “जब तक किसी देश में भूखमरी है, तब तक शैतान पैदा होते रहेंगे। भूख और बेरोजगारी से राक्षस पैदा होते हैं। भूख और जीवित रहने की जरूरत के कारण व्यक्ति चोर बन जाता है। दुनिया में, जहां भी भूखमरी और गरीबी है, लोगों ने हथियार उठा लिए हैं। उन्हें आतंकवादी, नक्सलवादी, माओवादी या धर्म के आधार पर कोई अन्य नाम दिया जा सकता है। यह हमारे देश में है, सीरिया, रूस और ज्यादातर पाकिस्तान में है। यह सरकार है जो राक्षसों को पैदा करती है।”
पाकिस्तान ने शिक्षा उपलब्ध कराई होती तो कसाब आतंकवादी नहीं बनता- संजय राउत
राउत ने सुझाव दिया कि अगर पाकिस्तान ने शिक्षा उपलब्ध कराई होती और गरीबी के खिलाफ कदम उठाए होते, तो कसाब आतंकवादी नहीं बनता। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सरकारें अतिवाद को बढ़ने से रोकने के लिए इन सामाजिक-आर्थिक मुद्दों को सुलझाने के लिए जिम्मेदार हैं। शिवसेना नेता ने आगे कहा, “अगर पाकिस्तान में शिक्षा होती और गरीबी के खिलाफ कदम उठाए गए होते तो कसाब पैदा ही न होता। धर्म के नाम पर गरीबों का शोषण होता है और शैतान पैदा होते हैं, कसाब उनमें से एक है। यहां भी ऐसे लोग हैं।”
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शिवसेना नेता ने कहा कि धर्म के नाम पर अक्सर गरीब लोगों का शोषण किया जाता है
संजय राउत की यह टिप्पणी ‘भगवा आतंकवाद’ शब्द पर बहस के बीच आई है, जो मालेगांव विस्फोट मामले में फैसले के बाद भी जारी है। इस मामले में अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष मामले को उचित संदेह से परे साबित करने में विफल रहा। उन्होंने दावा किया कि धर्म के नाम पर अक्सर गरीब लोगों का शोषण किया जाता है, जिसके परिणामस्वरूप 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों के अपराधी अजमल कसाब जैसे राक्षस पैदा होते हैं। पढ़ें- ‘आतंकवाद न खत्म हुआ और न कभी होगा’, पड़ोसी देश पर फारूक अब्दुल्ला का बड़ा बयान