यूपी विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल यादव सपा प्रमुख अखिलेश यादव से नाराज बताये जा रहे हैं। गौरतलब है कि इस नाराजगी के बाद अटकलें लगाई जा रही हैं कि शिवपाल यादव भाजपा के साथ जा सकते हैं। हालांकि इसपर खुद शिवपाल यादव भी खुलकर कुछ बोलने से किनारा कर रहे हैं।
बता दें कि शिवपाल यादव के भाजपा में जाने की अटकलों के बीच उनका कहना है कि जो भी कुछ होगा वो सबको बताएंगे। इस बीच भाजपा के एक खेमे ने भी साफ कर दिया कि भाजपा में शिवपाल के आने को लेकर कोई बात नहीं हुई है। योगी सरकार के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य भी कह चुके हैं कि भाजपा में शिवपाल के लिए कोई वैकेंसी नहीं है।
इन सब खबरों के बीच कयास लगाए जा रहे हैं कि भाजपा शिवपाल यादव को आजमगढ़ लोकसभा सीट पर होने वाले उप चुनाव में साथ ला सकती है। दरअसल आजमगढ़ सीट से अखिलेश यादव 2019 में सांसद चुने गये थे। लेकिन 2022 यूपी विधानसभा चुनाव में उन्होंने करहल विधानसभा सीट से ताल ठोका और जीत भी गये। ऐसे में अब उन्हें आजमगढ़ सीट छोड़नी पड़ी है।
वहीं आजमगढ़ सीट पर होने वाले उपचुनाव को लेकर खबर है कि भाजपा शिवपाल को अपने साथ ला सकती है। माना जा रहा है कि इस सीट से भाजपा शिवपाल या फिर उनके बेटे को चुनाव लड़वा सकती है। राजनीति विश्लेषकों की मानें तो अगर शिवपाल को साथ लाने से भाजपा को कोई बड़ा फायदा होगा तभी बीजेपी शिवपाल को अपने साथ ला सकती है।
शिवपाल की नाराजगी के बीच चर्चा यह भी है भाजपा उन्हें राज्यसभा भेज सकती है। लेकिन यह तभी संभव है जब भाजपा को शिवपाल से अधिक फायदा मिलता दिखेगा। बता दें कि बीते दिनों सपा के विधायक दल की बैठक में नहीं बुलाए जाने पर शिवपाल यादव सपा प्रमुख अखिलेश यादव से नाराज हैं।
ऐसे में बीते 4 अप्रैल को शिवपाल यादव ने राम दरबार की फोटो शेयर कर भाजपा में जाने की अकटलों को हवा दे दी थी। फोटो शेयर कर उन्होंने लिखा, “प्रातकाल उठि कै रघुनाथा। मातु पिता गुरु नावहिं माथा॥ आयसु मागि करहिं पुर काजा। देखि चरित हरषइ मन राजा॥ भगवान राम का चरित्र ‘परिवार, संस्कार और राष्ट्र’ निर्माण की सर्वोत्तम पाठशाला है। चैत्र नवरात्रि आस्था के साथ ही प्रभु राम के आदर्श से जुड़ने व उसे गुनने का भी क्षण है।”
इस ट्वीट के बाद से शिवपाल यादव का झुकाव भाजपा के प्रति माना जा रहा है। वहीं इससे पहले उन्होंने सीएम योगी से मुलाकात भी की थी। जिसे महज शिष्टाचार भेंट बताया गया था।